नई दिल्ली। जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, उसका असली चेहरा सामने आना शुरू हो गया है. महिलाओं के हितों, शिक्षा और नौकरी की आजादी की बात करने वाले तालिबान ने अब अफगानिस्तान में महिलाओं की जिंदगी को जीना दुभर बना दिया है. अपने नए प्रतिबंधों में तालिबान सरकार पहले ही महिलाओं […]
नई दिल्ली। जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है, उसका असली चेहरा सामने आना शुरू हो गया है. महिलाओं के हितों, शिक्षा और नौकरी की आजादी की बात करने वाले तालिबान ने अब अफगानिस्तान में महिलाओं की जिंदगी को जीना दुभर बना दिया है. अपने नए प्रतिबंधों में तालिबान सरकार पहले ही महिलाओं पर कई प्रतिबंध लगा चुकी है. अब यह तालिबानी सरकार एक नए फरमान के साथ तैयार है, जिसमें कहा गया है कि सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं केवल बुर्के में ही नजर आएंगी. अगर वह घर से बाहर जाती हैं तो उन्हें बुर्का पहनना होगा.
हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा द्वारा काबुल में एक समारोह में तालिबान अधिकारियों द्वारा जारी एक फरमान में कहा गया है कि, ‘महिलाओं को एक चादर (सिर से पैर तक बुर्का) पहनना चाहिए क्योंकि यह पारंपरिक और सम्मानजनक है.
कट्टरपंथी इस्लामवादियों द्वारा सत्ता हथियाने के बाद से यह महिलाओं के जीवन पर लगाए गए सबसे कठोर नियंत्रणों में से एक है.
इस महीने की शुरुआत में अफगानिस्तान के सबसे प्रगतिशील शहर हेरात में अधिकारियों ने ड्राइविंग प्रशिक्षकों से महिलाओं को लाइसेंस जारी करना बंद करने को कहा. ड्राइविंग स्कूलों की देखरेख करने वाले हेरात के ट्रैफिक मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के प्रमुख जन आगा अचकजई ने कहा, “हमें मौखिक रूप से महिला ड्राइवरों को लाइसेंस जारी करना बंद करने का निर्देश दिया गया है।”
पिछले मार्च में, तालिबान ने अफगानिस्तान में लड़कियों के माध्यमिक विद्यालयों को फिर से खोलने के कुछ ही घंटों बाद बंद करने का आदेश दिया.फैसले के बाद करीब दो लड़कियों और महिलाओं ने अफगानिस्तान की राजधानी में ‘स्कूल खोलो’ के नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया.
तालिबान ने कथित तौर पर अफगानिस्तान एयरलाइंस को बताया है कि महिलाएं बिना पुरुष संरक्षक के घरेलू या अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में यात्रा नहीं कर सकती हैं. हालांकि अफगानिस्तान पर फिर से कब्जा करने के बाद, तालिबान ने पूरी दुनिया को आश्वस्त किया कि वह बदल गया है.