नई दिल्लीः इजरायल ने शनिवार (27 सितंबर) को लेबनान में हिजबुल्लाह के चीफ हसन नसरुल्लाह को हवाई हमले मार दिया। हसन नसरूल्लाह समेत हिजबुल्लाह के कई टॉप कमांडर मारे गए। चीफ की मौत से इस्लामिक देशों में शोक का माहौल है तो वहीं सीरिया के सुन्नी मुसलमान जश्न का मना रहे हैं। आपको बताते हैं कि सीरिया में मुसलमान शिया मुसलमानों के हीरो से इतनी नफरत क्यों करते हैं।
2006 में हिजबुल्लाह के लड़ाकों ने इजरायली सीमा में घुसकर इजरायली सैनिकों का अपहरण कर लिया था। युद्ध समाप्त होने के बाद, हसन नसरल्लाह को अरब दुनिया में एकमात्र ऐसे नेता के रूप में सराहा गया, जो इजरायल के सामने खड़ा हुआ। इसके बाद हसन नसरल्लाह ने खुद को बार-बार ईरान के इशारे पर काम करने वाले संगठन के नेता के तौर पर पेश किया। नसरल्लाह अपने संगठन के साथ उन ऑपरेशन में शामिल हुआ जो इस्लामिक दुनिया में सुन्नी-शिया विभाजन का आधार बना।
आपको बता दें कि ईरान एक शिया बहुल देश है और सऊदी अरब समेत मध्य पूर्व के दूसरे सुन्नी बहुल देशों से उसकी दुश्मनी जगजाहिर है। हिजबुल्लाह भी एक शिया इस्लामी राजनीतिक दल और लेबनान का कट्टरपंथी समूह है। कई ऐसे मौके आए जब शिया और सुन्नी में विभाजित अरब जगत में ईरान और हसन नसरल्लाह शियाओं के पक्ष में खड़े नजर आए। हसन नसरल्लाह ने धीरे-धीरे लेबनान पर मजबूत पकड़ बना ली।
इसके बाद 2005 में पूर्व प्रधानमंत्री रफीक हरीरी की हत्या कर दी गई। हरीरी पश्चिम समर्थक और लोकप्रिय सुन्नी राजनेता थे। एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण का मानना था कि रफीक हरीरी की हत्या हिजबुल्लाह के गुर्गों ने की थी। फिर 2008 में हिजबुल्लाह के लड़ाकों ने बेरूत के सुन्नी इलाकों पर कब्जा कर लिया और नई सरकार बनने के बाद ही पीछे हटे। इस घटना ने शिया संगठन हिजबुल्लाह को लेबनान की सत्ता में शक्तिशाली बना दिया।
सीरिया सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है, जहां शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। वहां मार्च 2011 में इसी आधार पर गृहयुद्ध शुरू हो गया। दरअसल, बशर अल-असद जो खुद शिया मुस्लिम हैं, वर्ष 2000 में सीरिया के राष्ट्रपति बने थे। करीब एक दशक बाद सीरिया के सुन्नियों ने बशर सरकार पर शिया पक्षपात का आरोप लगाते हुए उसका विरोध करना शुरू कर दिया। हसन नसरल्लाह ने बशर अल-असद की बेफ्र सरकार को तख्तापलट से बचाने के लिए हजारों हिजबुल्लाह लड़ाकों को सीरिया भेजा। हिजबुल्लाह ने बशर अल-असद सरकार के खिलाफ विद्रोह कर रहे हजारों सुन्नी सीरियाई नागरिकों बच्चों सहित मार डाला।
सीरियाई विद्रोही उसे सुन्नी मुसलमानों का हत्यारा मानते हैं। सीरियाई विद्रोहियों का मानना है कि वे अपने देश को बशर अल-असद की तानाशाही से आजाद कराने के कगार पर थे, तभी हिजबुल्लाह के कट्टरपंथी लड़ाके मैदान में उतर आए इसलिए उसकी मौत पर सीरिया के मुसलमानों में खुशी का माहौल है।
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न्यूज एंकर ने हिजबुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह के मौत पर बहाई आंसू, आखिर क्या था अटैचमेंट!
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