नई दिल्ली। हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह शुक्रवार, 27 सितंबर को इजराइली हमले में मारा गया। नसरल्लाह को मारने के लिए इजराइल ने लेबनान के बेरूत स्थित उसके हेड क्वार्टर पर 80 टन बम का इस्तेमाल किया। नसरल्लाह के मारे जाने से दुनिया भर के मुसलमान दुखी हैं तो वहीं कुछ मुस्लिम देशों में नरसल्लाह के […]
नई दिल्ली। हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह शुक्रवार, 27 सितंबर को इजराइली हमले में मारा गया। नसरल्लाह को मारने के लिए इजराइल ने लेबनान के बेरूत स्थित उसके हेड क्वार्टर पर 80 टन बम का इस्तेमाल किया। नसरल्लाह के मारे जाने से दुनिया भर के मुसलमान दुखी हैं तो वहीं कुछ मुस्लिम देशों में नरसल्लाह के मारे जाने पर जश्न मनाया जा रहा है। इस जश्न के पीछे उन लोगों का दर्द छुपा है जो हिजबुल्लाह आंतकियों ने उन्हें दिए।
सुन्नी मुस्लिम बाहुल्य देश सीरिया में शिया मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। शिया-सुन्नी को लेकर वहां पर साल 2011 में गृह युद्ध शुरू हो गया। दरअसल बशर अल-असद साल 2000 में सीरिया के राष्ट्रपति बने जो कि खुद शिया मुस्लिम हैं। उनके ऊपर सुन्नियों ने पक्षपात करने का आरोप लगाया। बशर सरकार के खिलाफ विरोध शुरू हो गया। हसन नसरल्लाह ने इस विद्रोह में बशर अल-असद साथ दिया। इसे लेकर उसने हिजबुल्लाह के हजारों लड़ाकों को सीरिया भेज दिया।
बताया जाता है कि लगभग 50 हजार हिजबुल्लाह लड़ाके सीरिया में तैनात किए गए। इन्होंने वहां जाकर उत्पात मचा दिया। बशर अल-असद की सेना के साथ मिलकर इन्होंने हजारों नागरिकों की हत्या कर दी। जून 2013 में इन्होंने अल कुसैर छोड़कर भाग रहे सीरियाई नागरिकों की बेरहमी से हत्या कर दी। हिजबुल्लाह के लड़ाके यही तक नहीं रुके बल्कि उन्होंने महिलाओं का बलत्कार करना शुरू कर दिया। बड़ी संख्या में सुन्नी मुस्लिम महिलाओं और लड़कियों का बलात्कार किया गया। उन्हें जिंदा दफना दिया गया। नसरल्लाह के मरने पर सीरिया के लोग जश्न मना रहे।
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