नई दिल्ली : चंद्रमा पर एक नए अध्ययन में भारतीय वैज्ञानिकों को उम्मीद से पांच से आठ गुना अधिक बर्फ के प्रमाण मिले हैं. ये चंद्रमा की सतह से एक से तीन मीटर नीचे स्थित है. अध्ययन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने किया है. बता दें कि आईआईटी कानपुर, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, […]
नई दिल्ली : चंद्रमा पर एक नए अध्ययन में भारतीय वैज्ञानिकों को उम्मीद से पांच से आठ गुना अधिक बर्फ के प्रमाण मिले हैं. ये चंद्रमा की सतह से एक से तीन मीटर नीचे स्थित है. अध्ययन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने किया है. बता दें कि आईआईटी कानपुर, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला और आईआईटी धनबाद के शोधकर्ताओं के सहयोग से किया गया है.
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आईएसपीआरएस जर्नल ऑफ फोटोग्रामेट्री एंड रिमोट सेंसिंग में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं का दावा है कि बर्फ की गहराई की सटीक जानकारी भविष्य के चंद्र मिशनों के लिए सही लैंडिंग साइट निर्धारित करने में मदद करेगी. ये जानकारी नमूनों के चयन और चंद्रमा पर मानव उपनिवेश के सपने को साकार करने में भी उपयोगी होगी. बर्फ का अध्ययन करने के लिए, वैज्ञानिकों ने रडार, लेजर, रेडियोमीटर और चंद्र टोही ऑर्बिटर (एलआरओ) पर लगे अन्य उपकरणों सहित कई उपकरणों का उपयोग किया. अध्ययन में पाया गया कि चंद्रमा के उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की तुलना में दोगुनी बर्फ है.
इसरो के अनुसार कैंब्रियन काल के दौरान बर्फ ज्वालामुखीय गतिविधि से जुड़ी हुई है. इन गैसों से निकली गैसें लाखों वर्षों में धीरे-धीरे बर्फ के रूप में भूमिगत जमा होती गईं,और कैंब्रियन पृथ्वी के इतिहास में एक काल है जो 54.1 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुआ और 48. 54 मिलियन वर्ष पहले समाप्त हुआ. ये दृश्यजीवी इओन और पुराजीवी महाकल्प का पहला कल्प था, इसके बाद ओर्डोविशी कल्प आया.
बता दें कि इस अध्ययन के नतीजे इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के पिछले अध्ययन का भी समर्थन करते हैं, जिसमें चंद्रयान-2 के ड्युल फ्रिक्वेंसी सिंथेटिक अपर्चर रडार और पोलैरीमेट्रिक रडार से प्राप्त आंकड़ों में इस बात के संकेत मिले थे कि चंद्रमा की सतह पर मौजूद ध्रुवीय क्रेटरों में बर्फ हो सकती है. पिछले शोध में चंद्रमा की सतह के नीचे गहरे पानी के अस्तित्व का पता चला था. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सतह पर पानी की बर्फ के अस्थायी सबूत भी थे, लेकिन अब तक कोई सबूत नहीं था.
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