नई दिल्ली: घर के कई छोटे और जरूरी कामों को पूरा करने में माचिस का अहम योगदान होता है, जिसके बिना हम आग नहीं जला सकते हैं, हालांकि आज के जमाने में गैस के लिए लाइटर आ चुके हैं, लेकिन कुछ चीजों को जलाने के लिए माचिस का ही इस्तेमाल किया जाता है. अगर हम […]
नई दिल्ली: घर के कई छोटे और जरूरी कामों को पूरा करने में माचिस का अहम योगदान होता है, जिसके बिना हम आग नहीं जला सकते हैं, हालांकि आज के जमाने में गैस के लिए लाइटर आ चुके हैं, लेकिन कुछ चीजों को जलाने के लिए माचिस का ही इस्तेमाल किया जाता है. अगर हम पुराने जमाने की बात करें, तो उस समय आग जलना बहुत ही कठिन कार्य था, सबसे पहले आग की जानकारी पुरापाषाण काल में हुई थी, जब दो पत्थरों को आपस में रगड़ने पर आग जल जाती थी.
हर घर में उपयोग होने वाले माचिस का आविष्कार ब्रिटेन के वैज्ञानिक जॉन वॉकर ने 30 दिसंबर 1827 में किया था, जॉन वॉकर ने 1827 में सबसे पहले पत्थर से रगड़ने से निकलने वाली आग को माचिस का रूप देने का विचार किया, उन्होंने ऐसे तीली बनाई, जिससे किसी भी खुरदरी जगह पर रगड़ने से जलकर आग निकलती थी, लेकिन यह काफी खतरनाक आविष्कार साबित हुआ, कई लोगों को इससे चोट भी लगी. दरअसल सबसे पहले माचिस की तिल्ली पर एंटिमनी सल्फाइड, पोटासियम क्लोरेट और स्टार्च का प्रयोग किया गया था, इस माचिस की तिल्ली को रगड़ने के लिए रेगमाल लिया गया, अंत में नतीजा ये आया कि माचिस की तिल्ली जैसे ही रेगमाल रगड़ी गई, वैसे ही छोटा विस्फोट हुआ और जलने पर काफी बदबू निकलकर बाहर आई.
हर घर में उपयोग होने वाले माचिस की तिल्ली कई तरह की लकड़ियों से बनती है. सबसे अच्छी माचिस की तिल्ली अफ्रीकन ब्लैकवुड से तैयार होती है. पाप्लर पेड़ की लकड़ी भी माचिस की तिल्ली के लिए काफी अच्छी मानी जाती है. हालांकि अधिक मुनाफा कमाने के लिए कुछ कंपनी तेजी से जलने वाली लकड़ी का इस्तेमाल करती है. माचिस की तिल्ली को तैयार करने के लिए फास्फोरस का मसाला लगाया जाता है.
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