नई दिल्ली: निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद कनाडा घिरता जा रहा है. श्रीलंका ने भी अब इस मामले में भारत का समर्थन किया है. भारत-कनाडा विवाद पर अब श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी का बयान सामने आया है. उन्होंने कनाडा को कुछ आतंकवादियों के लिए सुरक्षित […]
नई दिल्ली: निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद कनाडा घिरता जा रहा है. श्रीलंका ने भी अब इस मामले में भारत का समर्थन किया है. भारत-कनाडा विवाद पर अब श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी का बयान सामने आया है. उन्होंने कनाडा को कुछ आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह करार दिया है.
विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा कि बिना किसी सबूत के कनाडाई प्रधानमंत्री के पास अपमानजनक आरोप लगाने का यही तरीका है. उन्होंने श्रीलंका के लिए भी यही बात कही थी कि श्रीलंका में एक भयानक नरसंहार हुआ था. ये बात सरासर झूठ थी सभी जानते हैं कि कोई भी नरसंहार नहीं हुआ था. साबरी ने आगे कहा कि कल मैंने देखका कि ट्रुडो नाजियों से जुड़े किसी व्यक्ति का जोरदार स्वागत कर रहे थे. यह संदेहास्पद है जहां हम अतीत में इससे निपट चुके हैं. इस बात पर मुझे आश्चर्य नहीं है कि कभी-कभी पीएम ट्रूडो आरोप लगाते हैं.
दूसरी ओर भारत में श्रीलंका के निवर्तमान उच्चायुक्त मिलिंडा मोरागोडा ने भी कनाडा के आरोपों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि इस मामले में आरोपों को लेकर भारत की प्रतिक्रिया काफी सख्त और बिना लागलपेट वाली रही है. श्रीलंका भारत का समर्थन करता है. प्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों को आतंकवाद के कारण नुकसान हुआ है और उनका देश इसके प्रति जीरो टॉलरेंस रखता है. उन्होंने आगे कहा कि मैं 60 साल का हूं, अपने जीवन के 40 साल हमने श्रीलंका में आतंकवाद के विभिन्न रूपों का सामना किया है. इसकी वजह से मैंने अपने कई दोस्तों और सहयोगियों को खेया है. हम सबका मानना है कि श्रीलंका में कई लोग आतंकवाद के कारण मारे गए हैं. इसलिए इस मामले को लेकर हमारी स्थिति बेहद स्पष्ट है.
बता दें, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 18 सितंबर को कनाडा की संसद में भारत पर खालिस्तान टाइगर फोर्स के प्रमुख निज्जर की गोली मारकर हत्या मामले में संलिप्तता को लेकर आरोप लगाए थे. इन आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव काफी बढ़ गया है. जहां कनाडा के इन आरोपों को भारत सरकार ने सिरे के ख़ारिज कर दिया है. इसी क्रम में कनाडा के कई शहरों में खालिस्तानी समर्थक समूह द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.