नई दिल्ली, श्रीलंका इन दिनों आर्थिक संकट से गुज़र रहा है. खाद्य सामान से लेकर हर एक चीज़ की कमी अब वहाँ के लोगों के जीवन को दिन प्रतिदिन और भी कठिन बना रही है. ऐसे में खाद्य संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने अब अपने सभी सरकारी कर्मचारियों को एक दिन का अतिरिक्त अवकाश […]
नई दिल्ली, श्रीलंका इन दिनों आर्थिक संकट से गुज़र रहा है. खाद्य सामान से लेकर हर एक चीज़ की कमी अब वहाँ के लोगों के जीवन को दिन प्रतिदिन और भी कठिन बना रही है. ऐसे में खाद्य संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने अब अपने सभी सरकारी कर्मचारियों को एक दिन का अतिरिक्त अवकाश देने की घोषणा कर दी है.
बता दें, श्रीलंका में कुल 10 लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी कार्यरत हैं. ऐसे में सभी कर्मचारियों को एक दिन का अतिरिक्त अवकाश देना किसी भी देश के लिए कितना नुकसानदेह होगा. ऐसे में पहले से ही घाटे में चल रहा श्रीलंका ऐसा क्यों कर रहा है? दरअसल भारत के छोटे द्विपीय पड़ोसी देश ने यह फैसला अपने नागरिकों को खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने की दृष्टि से लिया है.
बता दें, देश की आबादी करीब 22 मिलियन है और इस समय अपने सबसे ज़्यादा बुरे आर्थिक संकट से गुज़र रही है. बता दें, इस तरह का भयावह संकट आज तक श्रीलंका के इतिहास में नहीं आया था. इस समय वहाँ खाद्य, ईंधन और दवाइयों तक के लिए आम नागरिक को संघर्ष करना पड़ रहा है. इसके अलावा देश में इस समय विदेशी मुद्रा की भारी कमी है. ऐसे में देश इस स्थिति से निपटने के लिए अलग-अलग स्तर के प्रयोग कर रहा है.
चुनौती भरी इस स्थिति में अगर देश के अधिकांश नागरिक खेती को लेकर प्रयास करेंगे तो सही मायनों में खाद्य संकट को कुछ हद तक कम किया जा सकता है. बहरहाल अब वहाँ के सभी सरकारी कर्मचारियों को दो दिन का अवकाश मिलेगा. इसी कड़ी में प्राइवेट सेक्टर के भी कर्मचारियों के काम वाले दिनों में कमी करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है. अब देश में अगले तीन महीने के लिए हर शुक्रवार का एक अतिरिक्त अवकाश दिया जाएगा.
दक्षिण भारत से सटा ये छोटा सा द्वीप हिन्दुस्तान की सरहदों से कुछ ही दूर है. यदि वहां के नागरिक खुद को किसी खतरे में पाते हैं तो वहां की तमिल आबादी तमिलनाडु में पलायन करने लगती है. ऐसा पहले भी हुआ है जब दशकों तक जारी श्रीलंका के गृहयुद्ध के दौरान लाखो तमिल भाषी लोग तमिलनाडु में पलायन कर गए थे. भारी बेरोज़गारी और आर्थिक संकट के बीच एक बार फिर से श्रीलंकाई लोग भारत पलायन कर रहे हैं.
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