श्रीलंका ने एक समझौते के तहत हंबनटोटा बंदरगाह को शनिवार को औपचारिक रूप से 99 साल की लीज पर चीन को सौंप दिया. विपक्ष और मजदूर संगठनों ने इस परियोजना के जरिये सरकार पर देश और राष्ट्रीय संपदा को चीन के हाथ बेचने का आरोप लगाया है.
कोलंबो. श्रीलंका ने भारत को बड़ा झटका देते हुए शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हंबनटोटा बंदरगाह को 99 साल की लीज पर चीन को दे दिया है. समझौते के तहत 99 साल के लिए बंदरगाह का नियंत्रण चीनी कंपनियों को दिया गया है. चाइना मर्चेंट्स पोर्ट होल्डिंग्स कंपनी हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट ग्रुप और हंबनटोटा इंटरनेशनल पोर्ट सर्विसेज तथा श्रीलंका पोर्ट्स् अथॉरिटी इस बंदरगाह तथा इसके आसपास के निवेश क्षेत्र को नियंत्रित करेंगे.
श्रीलंकाई प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने संसद में बंदरगाह की लीज पर बोलते हुए कहा कि इस करार के साथ हमने कर्ज लौटाना शुरू कर दिया है. हंबनटोटा हिंद महासागर में महत्वपूर्ण बंदरगाह के तौर पर उभरेगा. विक्रमसिंघे ने कहा कि यह पोर्ट जल्द ही इकोनॉमिक जोन और औद्योगिकी क्षेत्र बनेगा जिसकी वजह से देश का आर्थिक विकास होगा. विपक्ष इस करार को देश की संपत्ति बेचना करार दिया है. विपक्ष इस परियोजना का विरोध कर रहा है. उसने सरकार पर चीनी कंपनियों को करों में भारी छूट देने का आरोप लगाया है.
श्रीलंका सरकार ने चीन के महत्वाकांक्षी वन बेल्ट-वन रोड परियोजना का हिस्सा बनने की भी घोषणा की है. विपक्ष ने इस परियोजना के जरिये सरकार पर देश को बेचने का आरोप लगाया है. श्रीलंका में चीनी नौसेना की मौजूदगी भारत के लिए लंबे समय से चिंता का विषय रही है. बता दें कि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इस साल अपनी चीन यात्रा के दौरान चीनी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना में हिस्सेदारी में को आपस में बदलने पर सहमति जताई थी. इस परियोजना की शुरुआत पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने अपने गृह जिले से की थी.
बता दें कि श्रीलंका में चीनी नौसेना की मौजूदगी भारत के लिए लंबे समय से चिंता का विषय रही है। हंबनटोटा बंदरगाह का नियंत्रण मिल जाने पर यह चिंता और बढ़ गई है. श्रीलंका सरकार ने बीती जुलाई में 1.1 अरब डॉलर (सात हजार करोड़ रुपये) में हंबनटोटा बंदरगाह का 70 फीसद हिस्सा बेचने का सौदा भी चीन के साथ कर रखा है.
पाकिस्तान के मदरसों के स्टूडेंट मौलवी बन रहे या आतंकवादी: आर्मी चीफ बाजवा