वर्चस्व की लड़ाई में नहीं फंसना चाहता श्रीलंका- राष्ट्रपति अनुरा के. दिसानायके

नई दिल्ली :  दिहाड़ी मजदूर के बेटे अनुरा ने दशकों से श्रीलंका की सत्ता पर काबिज राजपक्षे परिवार का सफाया कर दिया। 23 सितंबर को शपथ ग्रहण के साथ ही श्रीलंका को पहला कम्युनिस्ट राष्ट्रपति मिला। श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने कहा है कि वे भारत और चीन के बीच पिसकर नहीं […]

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वर्चस्व की लड़ाई में नहीं फंसना चाहता श्रीलंका- राष्ट्रपति अनुरा  के. दिसानायके

Manisha Shukla

  • September 24, 2024 7:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली :  दिहाड़ी मजदूर के बेटे अनुरा ने दशकों से श्रीलंका की सत्ता पर काबिज राजपक्षे परिवार का सफाया कर दिया। 23 सितंबर को शपथ ग्रहण के साथ ही श्रीलंका को पहला कम्युनिस्ट राष्ट्रपति मिला। श्रीलंका के नए राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने कहा है कि वे भारत और चीन के बीच पिसकर नहीं रहना चाहते हैं। एक इंटरव्यू में अनुरा ने कहा कि श्रीलंका दुनिया में चल रही वर्चस्व की लड़ाई में नहीं फंसना चाहता। उन्होंने कहा, “हम न तो वर्चस्व की दौड़ में हिस्सा लेंगे और न ही दौड़ में शामिल किसी देश का समर्थन करेंगे।

दोनों देश (भारत-चीन) हमारे अच्छे दोस्त हैं, मुझे उम्मीद है कि भविष्य में हमारी साझेदारी अच्छी रहेगी।” दिसानायके ने कहा कि वे यूरोपीय संघ (ईयू), मध्य पूर्व और अफ्रीका के साथ भी अच्छे संबंध बनाए रखेंगे। श्रीलंका की विदेश नीति निष्पक्ष रहेगी।

दरअसल, राजपक्षे के शासन में श्रीलंका चीन के कर्ज के दलदल में फंसता चला गया था। रानिल विक्रमसिंघे ने 2022 में आर्थिक मंदी के बाद भारत के साथ अपने संबंधों में सुधार किया। दिसानायके वामपंथी विचारधारा के हैं। इसके अलावा वे भारत के आलोचक भी रहे हैं। ऐसे में आशंकाएं थीं कि श्रीलंका में दिसानायके की जीत के बाद वे वैश्विक मुद्दों पर भारत के बजाय चीन का साथ देंगे। हालांकि, राष्ट्रपति बनने के पहले ही दिन उन्होंने साफ कर दिया था कि उनकी विदेश नीति किसी एक देश का साथ नहीं देगी।

श्रीलंका एक दिवालिया देश है।

दिसानायके ने कल ही राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। 2022 में आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में हुए चुनावों में उन्हें अपने प्रतिद्वंद्वी साजिथ प्रेमदासा से 10 लाख से ज्यादा वोट मिले। श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति तीसरे स्थान पर रहे। दिसानायके ने कहा, “श्रीलंका एक दिवालिया घोषित देश है। हमारे ऊपर 28 लाख करोड़ रुपए से ज़्यादा का कर्ज है। मेरा पहला कार्य देश के आर्थिक संकट को दूर करना है।” भारत और चीन के अलावा श्रीलंका के नए राष्ट्रपति को पाकिस्तान और मालदीव से भी बधाई मिली है।

राजपक्षे के पार्टी नेताओं ने छोड़ा देश

श्रीलंका में चुनाव के परिणाम घोषित होते ही राजपक्षे और विक्रमसिंघे की पार्टी के कई नेता और बौद्ध भिक्षु कोलंबो एयरपोर्ट से देश छोड़कर विदेश चले गए।

 

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