अंतरिक्ष में इतिहास रचने वाला स्पेसवॉक, टेक अरबपति की टीम का चौंकाने वाला वीडियो

अरबपति जेरेड इसाकमैन (Jared Isaacman) ने 12 सितंबर को एक ऐतिहासिक स्पेसवॉक किया, जिसमें उनके साथ गैर-पेशेवर अंतरिक्ष यात्री

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अंतरिक्ष में इतिहास रचने वाला स्पेसवॉक, टेक अरबपति की टीम का चौंकाने वाला वीडियो

Anjali Singh

  • September 12, 2024 10:07 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 months ago

नई दिल्ली: अरबपति जेरेड इसाकमैन (Jared Isaacman) ने 12 सितंबर को एक ऐतिहासिक स्पेसवॉक किया, जिसमें उनके साथ गैर-पेशेवर अंतरिक्ष यात्री भी शामिल थे। इस स्पेसवॉक की खास बात यह थी कि यह पिछले 50 वर्षों में सबसे अधिक ऊंचाई वाला स्पेसवॉक था।

1,400 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचा स्पेसवॉक

जेरेड इसाकमैन के नेतृत्व में, सिविलियन एस्ट्रोनॉट्स ने स्पेसएक्स पोलारिस डॉन मिशन (SpaceX Polaris Dawn mission) के तहत इस स्पेसवॉक में हिस्सा लिया। इस मिशन ने लगभग 1,400 किलोमीटर की ऊंचाई हासिल की, जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) की ऊंचाई से करीब तीन गुना ज्यादा है।

कब हुआ लॉन्च?

स्पेसएक्स पोलारिस डॉन मिशन को 10 सितंबर को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। इसाकमैन और उनकी टीम ने पृथ्वी से सैकड़ों मील ऊपर इस साहसिक कार्य को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। स्पेसएक्स ने इस स्पेसवॉक का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया है।

कैसे किया मुश्किल काम को अंजाम?

रिपोर्ट्स के अनुसार, जेरेड इसाकमैन और उनकी टीम ने स्पेसवॉक से पहले कैप्सूल का प्रेशर कम होने का इंतजार किया। इसके बाद, सभी ने स्पेसएक्स के नए स्पेसवॉकिंग सूट पहने और बाहर निकलने की तैयारी की। इस स्पेसवॉक के दौरान उन्हें अपने हाथों और पैरों को कैप्सूल से जुड़े रखना था, ताकि वह देख सकें कि नया स्पेससूट कैसा है।

कितनी देर चला स्पेसवॉक?

यह स्पेसवॉक करीब दो घंटे तक चला, जिसमें चलने से ज्यादा स्ट्रेचिंग पर ध्यान दिया गया। जेरेड इसाकमैन ने इस दौरान कैप्सूल के बाहर निकलकर नए स्पेससूट की क्षमता का परीक्षण किया।

क्या होता है स्पेसवॉक?

जब कोई अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में यान से बाहर निकलता है, तो उसे स्पेसवॉक कहते हैं। इसे एक्स्ट्राव्हीक्यूलर एक्टिविटी (EVA) भी कहा जाता है। हालांकि, यह काम बहुत जोखिम भरा होता है, इसलिए इसे बहुत सावधानी से अंजाम दिया जाता है। जेरेड इसाकमैन और उनकी टीम की यह ऐतिहासिक उपलब्धि अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है।

 

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