उत्तर कोरिया: नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया पर तगड़ा प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे अमेरिका को गुरूवार को बड़ा झटका लगा। चीन और रूस ने संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधों के मसौदे पर अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर दिया है। इसीलिए अब महाशक्ति अमेरिका उत्तर कोरिया के खिलाफ […]
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया पर तगड़ा प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे अमेरिका को गुरूवार को बड़ा झटका लगा। चीन और रूस ने संयुक्त राष्ट्र में उत्तर कोरिया के खिलाफ प्रतिबंधों के मसौदे पर अपने वीटो पॉवर का इस्तेमाल कर दिया है। इसीलिए अब महाशक्ति अमेरिका उत्तर कोरिया के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में कड़े प्रतिबंध नहीं लगवा पाएगा।
बता दें कि उत्तर कोरिया ने अभी हाल ही में बैलेस्टिक मिसाइल का प्रक्षेपण किया है। इस मिसाइल का इस्तेमाल परमाणु हथियारों को लाने और ले जाने में भी किया जा सकता है। अमेरिका द्वारा उत्तर कोरिया के खिलाफ इन मिसाइलों की वजह से संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंधों को लेकर जो प्रस्ताव लाए गए थे, उसमें संयुक्त राष्ट्र की सबसे शक्तिशाली संस्था संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पूरी तरह बंटवारा दिखा।
गौरतलब है कि साल 2006 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने उत्तर कोरिया के पहले मिसाइल परीक्षण के बाद उसके ऊपर बहुत कड़े प्रतिबंध लगाए थे और साथ में उसकी फंडिंग में भी कटौती की गई थी। कुछ इसी तरह के प्रतिबंध लगाने की तैयारी इस बार भी अमेरिका ने की थी। लेकिन सुरक्षा परिषद में सभी सदस्य देशों में एकजुटता नहीं दिखी। बता दें कि वोटिंग से पहले अमेरिका के राजदूत लिंडा थॉमस ने सभी सदस्य देशों से उत्तर कोरिया के खिलाफ एकजुटता की अपील की थी और कहा था कि यह बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए खतरा होने वाला है।
उत्तर कोरिया की बैलिस्टिक मिसाइल प्रक्षेपण को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुलाई गई आपात बैठक समाप्त होने के बाद दक्षिण कोरिया की सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा कि उत्तर कोरिया ने एक बार फिर से एक संदिग्ध आईसीबीएम और दो कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण किया है। दक्षिण कोरियाई सरकार ने आगे कहा कि उत्तर कोरिया लगातार उकसाने वाला कदम उठा रहा है लेकिन इससे दक्षिण कोरिया डरने वाला नहीं है। हम अमेरिका के साथ मिलकर निवारक कदमों को और मजबूत करेंगे और प्रयास करेंगे कि उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अलग-थलग हो जाए।
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