नई दिल्ली: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत के बाद 28 जून को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। चुनाव में हिस्सा लेने के लिए उम्मीदवार रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ईरान में महिलाओं को राष्ट्रपति बनने से क्यों रोका जाता है? आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे।
ईरान में 28 जून को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुका है। कई उम्मीदवारों के बीच पूर्व महिला विधायक ज़ोहरे इलाहियन भी राष्ट्रपति बनने की दौड़ में हैं, लेकिन उनकी दावेदारी पहले ही खत्म मानी जा रही है। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों?
ज़ोहरे इलाहियन ईरान की नागरिक हैं, उम्र 57 साल है और पेशे से डाक्टर हैं। उन्होंने राजनीति में आकर दो बार संसद सदस्य के रूप में सेवा दी है और राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति समिति की सदस्य भी रही हैं। फिर भी उनके राष्ट्रपति बनने की संभावना नहीं है।
ईरान में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की मंजूरी गार्जियन काउंसिल देती है। यह 12 सदस्यों वाली काउंसिल है, जिसके सदस्य सबसे ऊंचे नेता द्वारा नियुक्त होते हैं या अप्रूव होते हैं। काउंसिल उम्मीदवारों की जांच के बाद योग्य उम्मीदवारों की सूची जारी करती है।
ईरान के चुनावी कानून के मुताबिक, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की उम्र 40 से 75 वर्ष के बीच होनी चाहिए और कम से कम मास्टर डिग्री होनी चाहिए। लेकिन ईरानी संविधान के अनुच्छेद 115 के कारण महिला उम्मीदवारों की दावेदारी मुश्किल होती है।
अनुच्छेद 115 के मुताबिक, राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार प्रसिद्ध धार्मिक और राजनीतिक हस्तियों में से कोई “रेजल” होना चाहिए। “रेजल”अरबी शब्द है, जिसका मतलब पुरुष होता है। इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि महिला उम्मीदवारों को शामिल किया जा सकता है या नहीं।
2001 के राष्ट्रपति चुनावों में 47 महिलाओं ने रजिस्ट्री कराई थी, लेकिन गार्जियन काउंसिल ने सभी को अयोग्य घोषित कर दिया था। इस बार इलाहियन समेत 80 उम्मीदवारों ने रजिस्ट्रेशन किया है, लेकिन महिलाओं के लिए चुनौती अभी भी बनी हुई है। इस प्रकार, ईरान में महिलाओं के राष्ट्रपति बनने की राह में कई बाधाएं हैं, जिनमें से प्रमुख है संविधान का अनुच्छेद 115।