SCO समिट: जिनपिंग-शहबाज से होगी पीएम मोदी की मुलाकात, सम्मेलन में उठेंगे जरूरी मुद्दे

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए अपनी तैयारी पूरी कर ली है। सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री मोदी 14 सितंबर को समरकंद पहुंचेंगे। उज्बेकिस्तान में दो दिवसीय सम्मेलन इस वर्ष एससीओ का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन उज्बेकिस्तान के समरकंद में हो रहा है। सम्मेलन 16 एवं […]

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SCO समिट: जिनपिंग-शहबाज से होगी पीएम मोदी की मुलाकात, सम्मेलन में उठेंगे जरूरी मुद्दे

SAURABH CHATURVEDI

  • September 11, 2022 11:19 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए अपनी तैयारी पूरी कर ली है। सम्मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री मोदी 14 सितंबर को समरकंद पहुंचेंगे।

उज्बेकिस्तान में दो दिवसीय सम्मेलन

इस वर्ष एससीओ का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन उज्बेकिस्तान के समरकंद में हो रहा है। सम्मेलन 16 एवं 17 सितंबर को होगी। शंघाई सम्मेलन साल 2019 के बाद पहली बार हो रहा है। यह 2019 में 13 और 14 जून को किर्गिस्तान के बिश्केक में संपन्न हुआ था।

भारत को मिलेगी जिम्मेदारी

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, शिखर सम्मेलन में भारत की मौजूदगी कूटनीतिक नजरिये से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस वर्ष भारत समरकंद शिखर सम्मेलन के आखिर में एससीओ की रोटेशन प्रेसिडेंसी ग्रहण करेगा। और सितंबर 2023 भारत एससीओ की अध्यक्षता करेगा। शंघाई शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ,चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और ईरान के राष्ट्रपति अब्राहिम रायसी शामिल होंगे।

क्या है एससीओ

एससीओ एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। यह यूरेशियाई (यूरोप और एशिया) राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संगठन है जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखना है। एससीओ का गठन 2001 में किया गया और वर्ष 2003 में लागू हुआ। वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान इस सम्मेलन में शामिल हुए।

एससीओ में रूस – यूक्रेन पर चर्चा

एससीओ सम्मेलन में पीएम मोदी रूसी राष्ट्रपति पुतिन और ईरानी राष्ट्रपति रायसी के साथ द्विपक्षीय मुलाकात कर सकते हैं। वही पाकिस्तानी पीएम शरीफ की बात करें तो पीएम मोदी के साथ उनकी मुलाकात को लेकर अभी भी संशय बरकरार है। बैठक में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से पैदा हुई भू-राजनीतिक स्थिति और इससे उत्पन्न प्रभावों पर भी बात होगी। सम्मेलन में तालिबानी कब्जे के बाद अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति पर भी चर्चा होने की संभावना है।

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