नई दिल्ली. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर एससीओ की बैठक में भाग लेने पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद पहुंचे हुए हैं. इस दौरान वो वहां के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ से भी मिले लेकिन शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में जब बोलने की बारी आई तो उन्होंने चीन और पाकिस्तान का नाम लिये बिना तबियत से धोया. अपनी आदत के मुताबिक पाकिस्तान ने उनके भाषण को म्यूट करा दिया और चीन के साथ मिलकर भारत को घेरने की कोशिश की और चीन ने भारत का नाम लिये बिना कहा कि पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा वह खुद करेगा.
जयशंकर ने पाक-चीन को धोया
शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भाग लेने के लिए मेजबान देश पाकिस्तान ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किया था लेकिन भारत ने पीएम मोदी की बजाय विदेश मंत्री एस जयशंकर को भेजने का फैसला किया. जयशंकर अपने अंदाज में पाकिस्तान पहुंचे, वहां पर पाकिस्तानी पीएम शाहबाज शरीफ से मिले उनकी दावत में भी शिरकत की लेकिन जब बोलने का मौका आया तो पाकिस्तान को आतंकवाद को लेकर जमकर धोया और चीन को उसकी विस्तारवादी नीति पर आईना दिखाया.
उन्होंने साफ कर दिया कि एससीओ क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान की बात करता है और इसका ख्याल रखना होगा. इसके पहले उन्होंने अपने अमरीकी दौरे के दौरान एक अलग बयान में कहा था कि चीन ने सीमा पर शांति और स्थिरता संबंधित समझौतों का उल्लंघन कर माहौल को बिगाड़ा.
ड्रैगन बोला पाक की रक्षा वह खुद करेगा
भारतीय विदेश मंत्री की यह बात पाकिस्तान और चीन दोनों को चुभ गई. चीन का प्रतिनिधित्व वहां के पीएम ली कियांग कर रहे हैं. इस बैठक से इतर ली कियांग ने शाहबाज शरीफ से मुलाकात की, दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल की भी बैठक हुई और 30 सूत्रीय साझा बयान जारी किया जिसमें जानबूझकर कश्मीर का मुद्दा शामिल किया. बयान के 25वें बिंदु में कहा गया है कि कश्मीर मुद्दे को यून चार्टर के तहत हल किया जाना चाहिए. दोनों देश इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से हल करें. उसमें चीन ने भारत को धमकाने की भी कोशिश की है कि चीन पाकिस्तान की संप्रभुता की रक्षा करेगा. हालांकि उसमें भारत का नाम नहीं लिया है लेकिन इशारा साफ है.
एससीओ में 40 फीसद आबादी
शंघाई सहयोग संगठन में यूरेशिया का 80 फीसद क्षेत्र और दुनिया की 40 फीसद आबादी रहती है. इसके 9 देश सदस्य हैं जिसमें भारत, चीन, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान. ताजिकिस्तान, बेलारूस, ईरान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. अफगानिस्तान और मंगोलिया को पर्यवेक्षेक का दर्जा है. इसका मकसद सदस्य देशों के बीच शांति, सुरक्षा और स्थिरता के साथ साथ तकनीकी, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर सहयोग बढ़ाना है. पर्यावरण संरक्षण, शिक्षा, पर्यटन, ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करने की भी जिम्मेदारी है लेकिन चीन और पाकिस्तान जैसे देश इस मंच का इस्तेमाल अपने निजी हित को साधने और भारत पर परोक्ष रूप से हमला करने के लिए करते हैं.
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