नई दिल्ली, स्वीडन में क़ुरान जलाने का विवाद अब थमता नज़र नहीं आ रहा है. जहां स्वीडन के इस विवाद पर अब सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. और भारी आपत्ति जताई है. क्या बोला सऊदी? सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय द्वारा कुरान को जलाने के विवाद पर जो बयान जारी […]
नई दिल्ली, स्वीडन में क़ुरान जलाने का विवाद अब थमता नज़र नहीं आ रहा है. जहां स्वीडन के इस विवाद पर अब सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. और भारी आपत्ति जताई है.
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय द्वारा कुरान को जलाने के विवाद पर जो बयान जारी किया गया है उसमें कहा गया है, “विदेश मंत्रालय पवित्र क़ुरान और मुसलमानों के साथ जानबूझकर की गई बेदअबी और इसके उकसावे के लिए सऊदी अरब की निंदा को दर्ज करा रहा है.” जहाँ आगे कहा गया है कि सऊदी अरब केवल संवाद, सहिष्णुता, सह-अस्तित्व को फैलाने के प्रयासों को महत्त्व देता है. इसके अलावा सऊदी नफ़रत, चरमपंथ और सभी धर्मों और पवित्र स्थलों के दुर्व्यवहार जैसे व्यवहार को त्यागने का समर्थन करता है.
स्वीडन में धुर-दक्षिणपंथी और आप्रवासी विरोधी समूहों द्वारा मुसलमानों के धर्म ग्रंथ क़ुरान का विवाद सामने आया. जहां दक्षिणपंथी समूह ने कई जगहों पर कार्यक्रमों की आयोजित किए थे, साथ ही जहां भी कार्यक्रम आयोजित किए गए वहां हिंसा भड़क गई. ये हिंसा चौथे दिन भी जारी रही. पूरे मामले में 16 पुलिस अधिकारी घायल हो गए. स्वीडन के राष्ट्रीय पुलिस प्रमुख एंडर्स थॉर्नबर्ग ने हिंसा की घटनाओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘प्रदर्शनकारियों को पुलिस अधिकारियों की जान की परवाह नहीं है. हमने पहले भी दंगे देखे हैं, लेकिन यह अलग है.
सऊदी अरब के अलावा भी ईरान और इराक ने कुरान जलाने की घटना का विरोध किया है. दोनों देशों ने मामले को लेकर हाल ही में स्वीडिश राजदूतों को भी तलब किया. इस मामले पर स्टॉर्म कुर्स पार्टी चलाने वाले डेनिश-स्वीडिश चरमपंथी रासमस पालुदान का कहना है कि उन्होंने इस्लाम की सबसे पवित्र किताब में आग लगा दी है और आगे भी करते रहेंगे.
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