नई दिल्ली, यूक्रेन और रूस के युद्ध के बाद भारत और तमाम देशों के निर्यात और आयात की स्थिति प्रभावित हुई है. जहां पूरे विश्व में कई देश कई तरह के संकट से भी गुजर रहे हैं. इसी बीच अब भारत से निर्यात होने वाले गेहूं पर सऊदी अरब ने अगले चार माह तक रोक […]
नई दिल्ली, यूक्रेन और रूस के युद्ध के बाद भारत और तमाम देशों के निर्यात और आयात की स्थिति प्रभावित हुई है. जहां पूरे विश्व में कई देश कई तरह के संकट से भी गुजर रहे हैं. इसी बीच अब भारत से निर्यात होने वाले गेहूं पर सऊदी अरब ने अगले चार माह तक रोक लगा दी है. इसके पीछे क्या वजह है आइये आपको समझते हैं.
सऊदी अरब में अब भारत से होने वाले भारतीय गेहूं और गेहूं के आटे का अगले चार महीने तक निर्यात नहीं होगा. सऊदी ने भारत के निर्यात पर रोक लगा दी है. जहां ख़बरों की मानें तो ये पाबंदी गेहूं की सभी किस्मों पर लागू होगी. इस संबंध में यूएई के अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने बताया है कि देश में अब जो कंपनियां भारत के गेहूं या भारतीय गेहूं से बने आटे को निर्यात करना चाहती हैं. या भारत के गेहूं से बने इस आटे को जिन कंपनियों ने 13 मई से पहले देश में आयात किया उन्हें अब इस गेहूं को सऊदी से बाहर बेचने के लिए देश से इज़ाज़त लेनी होगी. इस संबंध में अब कंपनियों को सभी दस्तावेज़ और फाइलें जमा करनी होंगी. साथ ही आयात से जुड़ी पूरी जानकारी देनी होगी.
बता दें, सऊदी अरब ने यह फैसले गेंहू की लगातार बढ़ती कीमतों को लेकर किया है. जहां व्यापक आर्थिक साझेदारी के बाद भारत ने सऊदी को घरेलू इस्तेमाल के लिए निर्यात को मंज़ूरी दी थी. मालूम हो यूक्रेन और रूस के संकट ने गेंहू के संकट को भी बढ़ा दिया था. युद्ध में शामिल देश यूक्रेन गेंहू का धनि है. जो विश्व का सबसे बड़ा गेंहू निर्यातक है. कृषि और खाद्य आपूर्ति पर युद्ध का भारी असर पड़ा है, इससे दुनिया भर में गेंहू की कीमत में भी उछाल आया.
Just in : UAE Ministry of Economy issues ministerial decision prohibiting Indian wheat exports for 4 months – WAM
— حسن سجواني 🇦🇪 Hassan Sajwani (@HSajwanization) June 15, 2022
भारत की बात करें तो दुनिया में सबसे ज़्यादा अनाज का उत्पादन करता है. भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अनाज उत्पादक देश है. दुनिया में आए इस संकट से बचने के लिए भारत ने 13 मई को गेहूँ के निर्यात को फ्री से प्रोहिबिटेड श्रेणी में डाल दिया था जिसके बाद गेंहू के दाम विश्व में और भी बढ़ गए. इस वजह से भारतीय गेंहू की खरीद पर भी असर पड़ता दिख रहा है. जहां इस साल भारत में सरकारी गेहूँ की ख़रीद 15 साल के सबसे निचले स्तर पर है
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