थाईलैंड के राजा ने जून में संसद द्वारा पास किए गए समलैंगिक विवाह विधेयक को शाही मंजूरी दे दी है। इसके बाद, थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया
नई दिल्ली: थाईलैंड के राजा ने जून में संसद द्वारा पास किए गए समलैंगिक विवाह विधेयक को शाही मंजूरी दे दी है। इसके बाद, थाईलैंड दक्षिण-पूर्व एशिया का पहला और एशिया का तीसरा देश बन गया है, जिसने समलैंगिक जोड़ों को कानूनी रूप से शादी की इजाजत दी है। शाही राजपत्र में यह मंजूरी मंगलवार रात को प्रकाशित हुई, जिसका मतलब है कि यह कानून अगले 120 दिनों में लागू हो जाएगा।
थाईलैंड में लंबे समय से समलैंगिक विवाह की मांग चल रही थी। दो दशकों की कड़ी मेहनत और आंदोलन के बाद जून में यह विधेयक संसद में पास हुआ। इस कानून को LGBTQ+ समुदाय के कार्यकर्ताओं की बड़ी जीत माना जा रहा है। थाईलैंड पहले से ही अपनी LGBTQ+ संस्कृति और सहिष्णुता के लिए मशहूर है, और अब ताइवान और नेपाल के बाद यह एशिया का तीसरा देश बन गया है जहां समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिली है।
दुनिया में सबसे पहले नीदरलैंड ने साल 2001 में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दी थी। इसके बाद अब तक 30 से ज्यादा देशों ने इस पर कानून बनाए हैं। थाईलैंड में भी जनता का बड़ा हिस्सा इस विधेयक का समर्थन करता है, लेकिन यहां अभी भी कुछ रूढ़िवादी विचारधाराएं और परंपरागत मूल्य मौजूद हैं। LGBTQ+ समुदाय का कहना है कि भले ही कानून मिल गया हो, लेकिन उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
भारत में भी समान लिंग विवाह के अधिकारों की मांग लंबे समय से चल रही है। सुप्रीम कोर्ट में इस पर याचिका दायर की गई थी, लेकिन अदालत ने कहा कि यह मुद्दा विधायिका का है, और कानून बनाने का अधिकार संसद को है। हांगकांग की अदालत भी समलैंगिक विवाह के अधिकार देने के करीब पहुंची थी, लेकिन अभी तक फैसला नहीं हुआ है। दुनिया के कई देशों में अब भी LGBTQ+ समुदाय अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है।
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