नई दिल्ली, Russia-Ukraine Conflict रक्षा क्षेत्र से लेकर कच्चे तेल तक रूस भारत के साथ बड़े स्तर पर व्यापार संबंध साझा करता है. भारत रूस से गैस, न्यूक्लियर प्लांट के साथ एलएनजी और कई दूसरे कमोडिटी इंपोर्ट करता है. ज़ाहिर है कि इस समय रशिया और यूक्रेन के बीच चल रहा विवाद भारतीय अर्थव्यवस्था की मुश्किलें बढ़ा सकता है.
रशिया और यूक्रेन के बीच हमले ने अब भारत की चिंता बढ़ा दी है. इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम करीब 100 डॉलर प्रति बैरल से 102 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचे हैं. पिछले 7 सालों में यह सबसे ऊंचे दाम हैं. अगर जल्द ही ये युद्ध नहीं थमा तो कच्चे तेल की कीमतों से भारत की मुसीबत और भी बढ़ सकती है. दरअसल पूरे विश्व में रूस कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में शामिल है. यूरोप को ही उसकी खपत का 35 प्रतिशत कच्चा तेल रूस से जाता है. भारत भी रूस के कच्चे तेल का खरीदार है. जहां दुनिया में 10 बैरल तेल की सप्लाई में एक डॉलर रूस से आता है. ऐसे में दुनिया में कच्चे तेल की सप्लाई बाधित होने के कारण कीमतों में भारी उछाल हो सकता है. इस कारण भारत में भी महंगाई अलग ही उछाल पर जा सकती है.
इस दौरान रशिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की बात कही जा रही है. यदि ऐसा होता है तो रूस से आने वाले गैस और तेल की सप्लाई में कमी आएगी. इसके अलावा भी रशिया एल्युमिनियम समेत कई कमोडिटी को भारत समेत दुनिया भर में भेजता है. इसका सारा असर भारत और विश्व की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा.
रूस, भारत के व्यापार में बड़ी साझेदारी निभाता है. भारत में रूस द्वारा कच्चे तेल के अलावा, गैस, न्यूक्लियर प्लाट के साथ साथ एलएनजी और कई दूसरे कमोडिटी की खपत पूरी की जाती है. रक्षा क्षेत्र में भी भारत के लिए रूस एक बड़ा साझेदार है. आकड़ों की मानें तो रूस और भारत के बीच 31 मार्च 2021 तक 8.1 अरब डॉलर तक का ट्रेड स्थापित हुआ था. साथ ही भारत द्वारा रशिया को 2.3 अरब डॉलर के एक्स्पोर्ट पर रशिया भारत को 5.48 अरब डॉलर का इम्पोर्ट देता है. साथ ही दोनों देशों ने वर्ष 2025 तक 50 अरब डॉलर का द्विपक्षीय निवेश करने का लक्ष्य है. साथ ही दोनों देशो के बीच 30 अरब डॉलर की द्विपक्षीय व्यापर का लक्ष्य भी है.
एक अनुमान की मानें तो रशिया और यूक्रेन के इस विवाद के चलते लगभग दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ने वाला है. तेल बाजार, गैस बाजार, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में भी रूस के आर्थिक प्रतिबंध से संकट गहरा सकता है. भारत के लिए चिंता का विषय उनका अरबों डॉलर का निवेश है. रशिया के तेल और गैस क्षेत्रों में भारत ने अरबों डॉलरों का निवेश किया हुआ है. रशिया के पूरी क्षेत्रों तक भारत का ये निवेश फैला हुआ है. इस विवाद से ऊर्जा अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होने वाली है.
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