रूस में हाल ही में एक नया कानून पास किया गया है, जिसके तहत अदालतों को यह अधिकार मिल गया है कि वे किसी भी संगठन को आतंकवादी समूहों की सूची से हटा सकती हैं।
नई दिल्ली: रूस में हाल ही में एक नया कानून पास किया गया है, जिसके तहत अदालतों को यह अधिकार मिल गया है कि वे किसी भी संगठन को आतंकवादी समूहों की सूची से हटा सकती हैं। इस बिल को मंगलवार को रूस की स्टेट ड्यूमा में मंजूरी दी गई। इससे रूस के लिए अफगान तालिबान और सीरिया के विद्रोही समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करना आसान हो जाएगा।
कानून के अनुसार, यदि कोई संगठन आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियां बंद कर देता है, तो उसे आतंकवादी संगठनों की सूची से हटाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में रूस के अभियोजक जनरल अदालत में अपील कर सकते हैं, जिसमें यह बताया जाएगा कि उस संगठन ने आतंकवादी गतिविधियां रोक दी हैं। अदालत फिर निर्णय ले सकती है कि उसे आतंकवादी सूची से हटा दिया जाए।
रूस ने 2003 में तालिबान और 2020 में HTS को आतंकवादी संगठनों की सूची में डाला था। हालांकि, 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तालिबान को आतंकवाद से लड़ने में सहयोगी करार दिया। पुतिन ने जुलाई 2024 में कजाकिस्तान में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन के दौरान कहा था कि तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता में है और इस कारण आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में उनका सहयोगी है। रूस ने इसी साल मई में तालिबान को आतंकवादी संगठनों की सूची से हटाने का फैसला किया था। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इसे असली ताकत बताया और कहा कि वे तालिबान से अलग नहीं हैं और मध्य एशिया के उनके सहयोगी भी उनसे अलग नहीं हैं।
वहीं, सीरिया में विद्रोहियों के एक समूह, हयात तहरीर अल-शाम (HTS), के बारे में भी रूस के दृष्टिकोण में बदलाव आया है। पहले रूस ने HTS को आतंकवादी कहा था, लेकिन सीरिया में तख्तापलट के बाद रूस ने उन्हें आधिकारिक तौर पर विपक्ष करार दिया। 2023 के नवंबर में बशर अल असद के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ था और दिसंबर में असद शासन का अंत हो गया।
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