नई दिल्लीः रूस के सुप्रीम कोर्ट ने देश में एलजीबीटीक्यू मूवमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया है। खबरों के मुताबिक, रूस के कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर एलजीबीटीक्यू मूवमेंट पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अब रूस में एलजीबीटीक्यू […]
नई दिल्लीः रूस के सुप्रीम कोर्ट ने देश में एलजीबीटीक्यू मूवमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया है। खबरों के मुताबिक, रूस के कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर एलजीबीटीक्यू मूवमेंट पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अब रूस में एलजीबीटीक्यू संबंधित गतिविधियां संप्रदायवादी गतिविधि मानी जाएगी।
रूस के कानून मंत्रालय ने कहा कि एलजीबीटीक्यू मूवमेंट सामाजिक और धार्मिक टकराव को बढ़ावा देता है। इस प्रतिबंध के बाद रूस में कई एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को अपनी गिरफ्तारी का डर है, जिसके चलते कई लोग देश छोड़कर भागने की भी तैयारी में हैं। दरअसल, अगले साल मार्च में रूस में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की विदेशी एजेंडा के खिलाफ कार्रवाई के अधीन एलजीबीटीक्यू मूवमेंट पर प्रतिबंधित लगाया गया है।
रूस एलजीबीटीक्यू मूवमेंट को पश्चिमी प्रोपेगैंडा मानता है। वहीं रूसी राष्ट्रपति पुतिन पारंपरिक मूल्यों के समर्थक हैं। बीते साल अपने एक भाषण में भी पुतिन ने कहा था कि पश्चिमी देश नए ट्रेंड्स जैसे गे परेड आदि का स्वागत करते हैं लेकिन उन्हें इसे अन्य देशों पर नहीं डालना चाहिए। तीन साल पहले रूसी संविधान में बदलाव हुआ था, जिसमें निश्चित किया गया था कि एक पुरुष और महिला के यूनियन को ही शादी माना जाएगा। समलैंगिक संबंधों को मान्यता नहीं दी जाएगी। एलजीबीटीक्यू मूवमेंट पर प्रतिबंध लगाने के मामले की सुनवाई रूसी सुप्रीम कोर्ट में बंद दरवाजे में हुई और सिर्फ पत्रकारों को ही कोर्ट की सुनवाई में शामिल किया गया। वहीं एलजीबीटीक्यू समुदाय की तरफ से कोई भी इस सुनवाई में शामिल नहीं हुआ।
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