नई दिल्ली। कुछ दिन पहले ही रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को एक वर्ष पूरा हुआ है। ऐसे में चीन के विदेश मंत्री ने यूक्रेन सहित यूरोप और रूस की यात्रा की है। हालांकि, उनके दौरे के प्रमुख बिंदुओं का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन रूस द्वारा चीन से ड्रोन खरीदने की […]
नई दिल्ली। कुछ दिन पहले ही रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को एक वर्ष पूरा हुआ है। ऐसे में चीन के विदेश मंत्री ने यूक्रेन सहित यूरोप और रूस की यात्रा की है। हालांकि, उनके दौरे के प्रमुख बिंदुओं का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन रूस द्वारा चीन से ड्रोन खरीदने की बात सामने आई है। बता दें कि, यूक्रेन से चल रही जंग के बीच रूस, चीन और ईरान से हथियार हासिल करने की कोशिश कर रहा है। एक जर्मन न्यूज चैनल ने दावा किया है कि रूस चीन से सुसाइड ड्रोन को लेने के लिए बातचीत कर रहा है।
सुसाइड ड्रोन टारगेट को लॉक करने के बाद दुश्मन के ठिकाने पर जाकर फट जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह ड्रोन क्षेत्र में जाकर अपने टारगेट का पता लगाता है, फिर अपने लक्ष्य की खुद पहचान करता है और उसके बाद उस टारगेट पर जाकर फट जाता है। इस ड्रोन की दूसरी सबसे बड़ी खासियत यह है किय ये क्रूज मिसाइलों की तरह सैकड़ों किलोमीटर दूर टारगेट पर हमला कर सकता है, लेकिन क्योंकि क्रूज मिसाइलों की लागत अधिक होती है तो इस ड्रोन को सस्ता और सटीक विकल्प माना जाता है। सूत्रों के मानें तो सू-27 युद्धविमान के स्पेयर पार्ट्स हासिल करने के लिए भी रूस की एक चीनी सेना की कंपनी से बातचीत हुई है।
बता दें कि, बिंगो रूस में एक ड्रोन उत्पादन की फैक्ट्री स्थापित करने की योजना बना रहा है, जहां हर महीने 100 विमानों का निर्माण किया जा सकेगा। वहीं जेडटी-180 कंपनी के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो में शामिल नहीं है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा कि यह ड्रोन या उन्नत होगा या फिर बिलकुल ही नया होगा।
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