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रूस ने भारत को दिया धोखा ! यूक्रेन युद्ध में भारतीयों की हो रही दुर्दशा, जानें पूरा मामला

रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय नागरिकों की दुर्दशा एक गंभीर मुद्दा है. व्लादिमीर पुतिन की तरफ से भारतीय सैनिकों की वापसी के वादे के बावजूद उन्हें युद्ध के मैदान में भेजा जा रहा है, जो चिंता का विषय है.

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Russia Ukraine war
  • January 14, 2025 4:28 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 days ago

नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष में कई भारतीय नागरिकों की जान को खतरा हो रहा है। हाल ही में केरल के बिनिल टीबी (32) की मौत ने भारतीय समुदाय में गहरी चिंता पैदा की है। बिनिल और उनके रिश्तेदार जैन टीके रूस की ओर से यूक्रेन में लड़ रहे थे। बिनिल की मृत्यु यूक्रेनी ड्रोन हमले में हुई, जबकि जैन गंभीर रूप से घायल हो गए।

वादा नहीं किया पूरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के दौरान राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने वादा किया था कि यूक्रेन में लड़ रहे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस भेजा जाएगा, लेकिन यह वादा अब तक पूरा नहीं हो सका। बिनिल का मामला यह दर्शाता है कि रूस में भारतीय नागरिकों की स्थिति सही नहीं हैं और उनकी सुरक्षा को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

परिवारों की समस्याएं

एक रिपोर्ट के अनुसार, बिनिल और जैन के परिवारों ने भारतीय दूतावास से मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन रूसी सेना की अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। बिनिल की पत्नी ने मास्को स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया, लेकिन तब तक बिनिल की मौत हो चुकी थी। इस घटना ने उनके परिवार पर एक गहरा दुखवह संकट आ घेरा है।

रूस से भारतीयों की वापसी में हो रही परेशानी

रूसी सेना भारतीय नागरिकों को घर लौटने की अनुमति नहीं दे रही है। कई भारतीय नागरिक, जो सहायता कार्यों के लिए रूस गए थे, अब युद्धक्षेत्र में फंसे हुए हैं। यह स्थिति यह संकेत देती है कि भारतीय नागरिकों को धोखे से युद्ध में शामिल किया जा रहा है, जिससे उनकी जान को खतरा और बढ़ गया है। रूस की चेतावनियां और वैश्विक संकट की आशंका रूस द्वारा जारी की गई चेतावनियों ने अंतर्राष्ट्रीय स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया है। भारतीय नागरिकों के लिए यह स्थिति बेहद कठिन हो गई है क्योंकि वे युद्ध के मैदान में फंसे हुए हैं और शारीरिक एवं मानसिक रूप से थक चुके हैं। बिनिल का अंतिम संदेश इस कठिनाई को स्पष्ट रूप से दर्शाता है, जिसमें उन्होंने युद्ध क्षेत्र से बाहर निकलने की अपील की थी, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

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