नई दिल्ली. एक ओर ऋषि सुनक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बन गए हैं तो वहीं, दूसरी ओर भारत में इसे लेकर सियासी दंगल छिड़ा हुआ है. इसी कड़ी में जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि जहां ब्रिटेन ने अल्पसंख्यक मूल के एक शख्स को अपने प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार किया है वहीं भारत अभी भी CAA और NRC जैसे विभाजनकारी कानूनों में ही उलझा हुआ है, कांग्रस नेता शशि थरूर ने भी महबूबा मुफ़्ती के सुर में सुर मिलाया है और ऐसे ही विचार जाहिर किए हैं. हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि भारत में भी अल्पसंख्यक सर्वोच्च पद पर पहुंचे हैं और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम इस बात के उदाहरण हैं.
हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने वाले शशि थरूर ने ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने पर ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा है कि क्या भारत में ऐसा हो सकता है? उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि अगर सुनक पीएम बनते हैं ‘तो मुझे लगता है कि हम सभी को ये स्वीकारना होगा कि ब्रिटिशर्स ने दुनिया में कुछ बहुत ही दुर्लभ काम किया है, और ये काम है अल्पसंख्यक समुदाय के एक सदस्य को सबसे शक्तिशाली ऑफिस की जिम्मेदारी सौंपना. अब जब हम भारतीय मूल के ऋषि सुनक की कामयाबी की खुशी मना रहे हैं तब हमें खुद से ईमानदारी से पूछना चाहिए कि क्या हमारे यहां ऐसा हो सकता है.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ऋषि सुनक के बहाने ही केंद्र की मोदी सरकार को भी घेरा है और ऐसे में उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है कि यूके को भारतीय मूल का पहला प्रधानमंत्री मिलने वाला है, अब जबकि पूरा भारत इसकी खुशी मना रहा है तो हमें भी ये याद रखना चाहिए कि यूके ने एक जातीय अल्पसंख्यक सदस्य को अपने प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार कर लिया है, लेकिन हमारे यहाँ तो लोग NRC और CAA जैसे विभाजनकारी और भेदभावपूर्ण कानूनों से बंधे हैं.
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया दी है, इस मामले में उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “पहले कमला हैरिस, अब ऋषि सुनक, यू.एस. और यू.के. के लोगों ने अपने देशों के गैर-बहुसंख्यक नागरिकों को गले लगाया है और उन्हें सरकार में उच्च पद के लिए चुना है, ये भारत जैसे देश के लिए एक अच्छा सबक है.”
इसपर पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने महबूबा मुफ्ती पर पलटवार किया और सवाल पूछा कि क्या वो जम्मू कश्मीर में एक हिंदू मुख्यमंत्री स्वीकार कर लेंगी, इसी कड़ी में उन्होंने कहा, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक के चुनाव बाद कुछ नेता बहुसंख्यवाद के खिलाफ कुछ ज्यादा ही सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम और डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व की याद दिलाई और ये भी कहा कि इसी तर्ज पर अब एक आदिवासी महिला भी भारत में राष्ट्रपति है.
भाजपा नेता ने कहा कि भारतीय मूल के नेता सुनक को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बनने पर सभी को उनको बधाई देनी चाहिए लेकिन यहाँ तो लोग इसे कोई राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं.
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