नई दिल्ली। चीन मे कोविड के चलते सख्त नियमों की बहाली को लेकर चीन में जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन आम हो चुके हैं, इन विरोधों को कुचलने के लिए पर्याप्त बल का भी प्रयोग किया जा रहा है। इस घटना को देखते हुए तमाम बुद्धिजीवियों का कहना है कि, चीन अपने इतिहास को दोहराने के […]
नई दिल्ली। चीन मे कोविड के चलते सख्त नियमों की बहाली को लेकर चीन में जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन आम हो चुके हैं, इन विरोधों को कुचलने के लिए पर्याप्त बल का भी प्रयोग किया जा रहा है। इस घटना को देखते हुए तमाम बुद्धिजीवियों का कहना है कि, चीन अपने इतिहास को दोहराने के दौर में आ चुका है। 1989 की तरह चीन में फिर शायद एक क्रांति की शुरुआत हो चुकी है जो कि, तानाशाह सरकार को उखाड़ फेंकने की शुरुआत है।
आप सभी को याद होगा कि दिसंबर 2019 मे चीन की लैब से एक खतरनाक वायरस ने दुनिया भर में तबाही मचा दी थी, यह वायरस जानबूझकर छोड़ा गया था या फिर चीन की एक चूक का नतीजा था, जिसका खामियाजा समस्त विश्व को भुगतना पड़ा।
जब कोरोना सारे विश्व में तबाही मचा कर शान्त हो चुका है, तब इस वायरस के निर्माता चीन में अब कोरोना ने तबाही मचा रखी है। इस तबाही के चलते चीनी सरकार ने सख्त नियम लागू कर दिए हैं। इन सख्त नियमों के चलते चीन की जनता बेकाबू हो गई है। जिसकी वजह से चीन में जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं जिन्हे देखकर तमाम बुद्धिजीवियों का कहना है कि, चीन तख्तापलट की ओर है। चीनी जनता कम्युनिस्ट सरकार के रवैये से नाराज़ है और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस्तीफे की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आई है।
4 जून 1989 में लोकतंत्र की मांग को लेकर चीन की थियानमेन चौक जाने वाली सड़क को छात्रों ने घेरकर आंदोलन की शुरुआत की थी, लेकिन चीनी सेना ने निहत्थे छात्रों एवं कार्यकर्ताओं के इस आंदोलन को कुचलने के लिए बल का प्रयोग किया था।
इस आंदोलन को कुचलने के लिए सड़कों पर टैंक उतार दिए थे फलस्वरूप उस कार्रावाई में 200 लोग मारे गए थे और लगभग 7 हज़ार लोग घायल हो गए थे।
यदि कोविड नियमों के चलते हो रहे इन प्रदर्शनों को तख्ता पलट या फिर 1989 के आंदोलन के साथ जोड़कर देखा जा रहा है, तो यह कहना बिल्कुल भी सही नहीं होगा कि, चीन तख्ता पलट की ओर है, क्योंकि बीतें वर्षों मे समस्त विश्व कोविड की चपेट मे रहा है।
कोविड के सख्त नियमों के चलते भारत में भी मजदूर पैदल सड़कों पर चल कर घरों की ओर कूच कर रहे थे और सोशल मीडिया मे सरकार के खिलाफ लगातार बयानबाजी हो रही थी, मात्र भारत में ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान एवं अन्य यूरोपीय देशों में भी जनता रोष मे थी, और ऐसा लग रहा था कि, मौजूदा सरकारों के अन्तिम दिन चल रहे हैं।
कोविड खत्म हो जाने के बाद जब सख्त नियमों को पूर्व की तरह ही कर दिया गया तब यब असन्तोष भी खत्म हो गया और मौजूदा सरकारों ने भी अपने शासन को बड़ी आसानी से आगे चलाना आरम्भ कर दिया।
इसलिए इन सख्त नियमों के चलते चीन में सरकार के तख्तापलट की बात कहना जल्दबाजी होगी थोड़े इन्तज़ार के बाद ही इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि, क्या सरकार का तख्ता पलट होगा या नहीं।