नई दिल्ली: दुर्लभ कबूतर को विलुप्त हुए 40 साल हो गए हैं, लेकिन अब वह फिर दिखाई दिया है. असल में यह दुर्लभ कबूतर के नाम से जाना जाता है. यह पक्षी 1882 के बाद पहली बार अब दिखाई दिया है, आइए जानते हैं ये कबूतर क्यों दुर्लभ है। 1882 में आखिरी बार देखा गया […]
नई दिल्ली: दुर्लभ कबूतर को विलुप्त हुए 40 साल हो गए हैं, लेकिन अब वह फिर दिखाई दिया है. असल में यह दुर्लभ कबूतर के नाम से जाना जाता है. यह पक्षी 1882 के बाद पहली बार अब दिखाई दिया है, आइए जानते हैं ये कबूतर क्यों दुर्लभ है।
1882 में आखिरी बार दुर्लभ कबूतर को देखा गया था, उसके बाद ये पक्षी कभी नहीं दिखाई दी. अब 140 साल के बाद पापुआ न्यू गिनी के फर्गुसन आईलैंड पर फिर से दुर्लभ कबूतर देखा गया है. दुर्लभ कबूतर को ब्लैक-नेप्ड पीसैंट पीजन कहते है. यह कबूतर पापुआ न्यू गिनी के फर्गुसन आईलैंड के अलावा दुनिया में किसी और जगह नहीं दिखाई देता है।
एक सदी से अधिक समय तक यह दुर्लभ कबूतर विज्ञान की दुनिया के लिए खत्म हो चुका था. इसे संभावित विलुप्त की श्रेणी में रखा गया था. लेकिन 2019 में पापुआ न्यू गिनी में सर्वे शुरू किया, ताकि संभावित विलुप्त जीव मिल सकें. लोगों ने कहा कि जमीन में खोदकर खाना खोजने वाले दुर्लभ कबूतर को देखा है।
कॉर्नेल लैब ऑफ ऑरनिथोलॉजी के रिसर्चर जॉर्डन बोर्समा ने बताया कि यह कबूतर 1882 के बाद से नहीं दिखाई दिया था. यह साबित हो गया था कि अब यह प्रजाति खत्म हो चुकी है. लेकिन 2019 में स्थानीय लोगों के मुंह से सुना कि दुर्लभ कबूतर दिखाई दिया है, इस साल सितंबर में फिर से खोजने का दूसरा अभियान शुरू किया।
जॉर्डन ने कहा कि ये कोविड काल में ही जंगल में पनपे होंगे. जॉर्डन ने स्थानीय शिकारी ऑग्स्टीन ग्रेगरी को अपनी विशेष टीम में शामिल किया. क्योंकि दुर्लभ कबूतर की कहानियां किसी पौराणिक गाथाओं से कम नहीं है. उसके बाद ऑगस्टीन के गाइडेंस में माउंट किलकेरन पर कई जगहों पर कैमरे लगाने के बाद फुटेज मिला है।
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