नई दिल्ली : यूक्रेन और रूस युद्ध को अब 10 महीने बीत चुके हैं. इस लड़ाई में कई ऐसे बमों और हथियारों के इस्तेमाल किया गया है जिनका प्रयोग शायद मानव जाती के लिए ख़तरा है. अब इसमें पूअर मैन्स न्यूक या पूअर मैन न्यूक्लियर वेपन का इस्तेमाल हो रहा है. जो किसी मनुष्य को भाप बना देने की क्षमता रखता है. इसका इस्तेमाल यूक्रेन में रूसी सेना द्वारा किया जा रहा है. क्या है पूअर मैन्स न्यूक वेपन? आइये जानते हैं.
दरअसल रूस के पास TOS-1A Solntsepek heavy thermobaric flamethrower नाम का थर्मोबेरिक फ्लेमथ्रोअर हैं. ये हथियार किसी भी तरह की किलेबंदी को एक झटके में ही ध्वस्त कर सकता है, बख्तरबंद वाहन या बंकर को उड़ा सकता है और यदि सैनिकों के ऊपर गिर जाएं तो मनुष्य के केवल कंकाल ही बच पाएंगे. दुनिया के लिएब ये थर्मोबेरिक वेपन सबसे पुराने, घातक और पारंपरिक हथियारों में से एक माना जाता है. आम भाषा में इसे पूअर मैन्स न्यूक्लियर वेपन यानी गरीब आदमी का परमाणु बम कहा जाता है.
रूस का ये TOS-1 थर्मोबेरिक हथियार 220 मिमी के 30 बैरल वाली एक आर्टिलरी गन की तरह है. जिसमें से रॉकेट या टी-72 टैंक के गोलों की मदद से हथियारों को कहीं भी 6 से 10 किलोमीटर की रेंज में गिराया जा सकता है. जहां पर इसका विस्फोट होता है वहां 1000 फीट के दायरे में कुछ भी नहीं बचता. ब्लास्ट के बाद निकलने वाली शॉकवेव से कई सैनिकों के फेफड़ों तक को फायदा जा सकता है. इसके बाद भी 3000 डिग्री सेल्सियस का तापमान शरीर को एक झटके में भाप बना सकता है. यानी शरीर का कोई भी हिस्सा एक क्षण में जलकर राख में बदल जाएगा.
इन हथियारों को पूअर मैन्स न्यूक्लियर वेपन का नाम रूस ने नहीं बल्कि अमेरिकी फौज के एक रिटायर्ड कर्नल डेविड जॉनसन ने दिया था. ऐसा इसलिए क्योंकि इस हथियार को हवाई जहाज से गिराया जा सकता है साथ ही साथ फिर रॉकेट में डालकर या तोप के गोले में डालकर दागा जा सकता है. ताजा वीडियो की बात करें तो रूस की दक्षिणपंथी हत्यारों की टुकड़ी जिसे वैगनर ग्रुप कहते हैं, वो इन्हीं हथियारों से यूक्रेन की सेना, वाहनों और बंकरों पर हमला कर रही है. ये वीडियो ड्रोन द्वारा बनाया गया है जिसमें वैगनर ग्रुप के सैनिक तोप के गोलों इस इस्तेमाल करते हुए थर्मोबेरिक हथियारों को दाग रहे हैं.
ख़ास बात ये है कि रूस के अलावा ये हथियार और किसी के पास मौजूद नहीं है. कई बार अमेरिका ने इसे प्रतिबंधित करने का प्रयास किया. क्योंकि ये सामूहिक नरसंहार का हथियार नहीं है तो इसलिए इसपर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सका.
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