नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के युद्ध की शुरुआत के कई महीने हो चुके हैं, लेकिन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है. यूक्रेन रूस को इस जंग में कड़ी टक्कर दे रहा है. यूक्रेन के पूर्वी इलाके में करारी शिकस्त का सामना कर रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिनबौखला गए हैं, पुतिन ने […]
नई दिल्ली. रूस और यूक्रेन के युद्ध की शुरुआत के कई महीने हो चुके हैं, लेकिन युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है. यूक्रेन रूस को इस जंग में कड़ी टक्कर दे रहा है. यूक्रेन के पूर्वी इलाके में करारी शिकस्त का सामना कर रहे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिनबौखला गए हैं, पुतिन ने 3 लाख रिजर्व सैनिकों की तैनाती का भी निर्देश दे दिया है. पुतिन ने परमाणु हथियारों की ओर इशारा करते हुए धमकी दी है कि अगर रूस द्वारा कब्ज़ा किए गए यूक्रेनी क्षेत्रों पर हमला किया गया तो रूस किसी को नहीं बख्शेगा और परमाणु हमले से भी पीछे नहीं हटेगा. वहीं, पुतिन ने जोर देकर ये भी कहा कि “वो झूठी धौंस नहीं दे रहे हैं.” इस बीच विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि रूस अगर यूक्रेन में परमाणु ताकत का इस्तेमाल करता है तो यह ‘टैक्टिकल’ होगा और ठीक उसी तरह से विनाश होगा जैसे जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में हुआ था, जिसका असर आज भी देखने को मिलता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक टैक्टिकल परमाणु वॉरहेड को इस तरह से बनाया गया है कि उन्हें सीमित युद्धक्षेत्र में इस्तेमाल किया जा सकता है. इसके जरिए किसी टैंक के जत्थे या अगर समुद्र में इस्तेमाल किया गया तो एक एयरक्राफ्ट कैरियर बैटल ग्रुप को पूरी तरह से नष्ट किया जा सकता है. इस तरह के वॉरहेड में 10 से लेकर 100 किलोटन डायनामाइट की ताकत होती है, वहीं इसे कम क्षमता का परमाणु बम भी कहा जा सकता है. इससे उलट रूस के पास जो सबसे ताकतवर ‘स्ट्रेटजिक’ परमाणु बम है, उसमें 500 से लेकर 800 किलोटन तक विस्फोटक की क्षमता होती है और इस परमाणु बम की मदद से पूरे के पूरे शहर को भी धुल में तब्दील किया जा सकता है.
वहीं, विशेषज्ञों ने ये भी कहा है कि टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन को ‘कम क्षमता’ का बताना तो बिल्कुल गलत है क्योंकि इन बमों की विस्फोटक ताकत 10 से 100 किलोटन तक होती है और उसे एक गांव नष्ट हो सकता है. ये उसी तरह से बर्बादी मचा सकते हैं, जिस तरह हिरोशिमा और नागासाकी में अमेरिका के गिराए गए परमाणु बम ने मचाई थी. साल 1945 में गिराए गए इन परमाणु बमों में भी 15 से 21 किलोटन डायनामाइट की क्षमता थी और इसका असर आज के समय में भी वहां देखने को मिल रहा है. अमेरिका सरकार के डेटा के मुताबिक हिरोशिमा और नागासाकी में हुए परमाणु विस्फोट में 70 हज़ार से ज्यादा लोगों की जान गई थी.