नई दिल्ली : पाकिस्तान में इस समय PSL यानी पाकिस्तान सुपर लीग अपने सबाब पर है. तभी पाकिस्तना में पूर्व पीएम को लेकर पूरे देश मे बवाल मचा हुआ है. पीएसएल के प्लेऑफ का मैच लाहौर में खेला जाना है और वहीं पर पूर्व पीएम इमरान के समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प चल रही […]
नई दिल्ली : पाकिस्तान में इस समय PSL यानी पाकिस्तान सुपर लीग अपने सबाब पर है. तभी पाकिस्तना में पूर्व पीएम को लेकर पूरे देश मे बवाल मचा हुआ है. पीएसएल के प्लेऑफ का मैच लाहौर में खेला जाना है और वहीं पर पूर्व पीएम इमरान के समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प चल रही है.
जिस स्टेडियम में प्लेऑफ का मैच खेला जाना है वे स्टेडियम इमरान खान के घर से 10 किमी दूरी पर है. PSL में अब सिर्फ 4 ही मैच बचे हुए है. मैच होने की संभावना इसलिए भी बढ़ गई है कि लाहौर हाईकोर्ट ने फैसला दिया है कि इमरान खान की गिरफ्तारी गुरूवार सुबह 10 बजे तक रोक दे. इस आदेश के बाद बाकी मैच होने की संभावना बढ़ गई है.
सारा मामला पाकिस्तान के खजाने की चोरी का है. इमरान खान साल 2018 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे. इस दौरान उन्हें अरब देशों की यात्राओं के दौरान वहां के शासकों से महंगे गिफ्ट मिले थे. पाकिस्तान में नियमों के अनुसार किसी दूसरे देश के प्रमुखों या गणमान्य लोगों से मिले हुए उपहारों को तोशाखाना में रखा जाना जरूरी है. अगस्त 2022 में इमरान की मुसीबत तब बढ़ी, जब पाकिस्तान के सत्तारूढ़ गठबंधन ने चुनाव आयोग के पास एक याचिका दायर कर इमरान खान पर अपनी संपत्ति में तोशखाना से प्राप्त उपहारों के बारे में जानकारी ना देने का खुलासा नहीं किया था.
जिसके बाद जांच में पता चला कि इमरान ने मित्र खाड़ी देशों से आए उपहारों में से तीन महंगी घड़ियों की बिक्री की थी, जिसमें उन्होंने 36 मिलियन रुपए कमाए थे. उन्होंने बताया कि इस पूरी प्रक्रिया को उनकी सरकार ने कानूनी अनुमति भी दी थी. बाद में अक्टूबर 2022 को पाकिस्तान के चुनाव आयोग की पांच सदस्यीय पीठ द्वारा तोशाखाना मामले में इमरान को पांच साल के लिए सार्वजनिक कार्यालय संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. साथ ही इमरान खान के खिलाफ भ्रष्टाचार कानूनों के तहत कार्रवाई करने की बात की गई थी.
तोशाखाना का मतबल होता है खजाने का घर, पाकिस्तान में तोशाखाना एक सरकारी विभाग है, जहां पाकिस्तानी प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति को दिए गए उपहारों को रखा जाता है. बता दें, पाकिस्तान में तोशाखाना को 1974 में बनाया गया था, यहां पर हमेशा महंगे उपहारों को ही रखा जाता है. अगर किसी उपहार की कीमत 30 हजार रुपए से कम है, तो उसे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री अपने पास रख सकते हैं. यदि कोई अधिकारी उपहार को लेना चाहता है, तो उसे एक निर्धारित मूल्य का भुगतान करना होता है. यह मूल्य तोशाखाना मूल्यांकन समिति द्वारा निर्धारित की जाती है.
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