नई दिल्लीः येरूशलम को इसरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने के फैसले पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कड़ी आलोचना हो रही है. केवल इजरायल ने ही इस फैसले का समर्थन किया है. ट्रंप की घोषणा का गाजा से लेकर जॉर्डन व टर्की तक विरोध शुरू हो गया है. फिलिस्तीन के एक राजनायिक ने कहा कि ट्रंप का फैसला मिडिल ईस्ट में युद्ध की घोषणा करने वाला है. उन्होंने कहा कि ट्रंप के आदेश से पूरे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है जो समूची दुनिया को प्रभावित करेगा. वहीं चीन और रूस ने इस फैसले पर चिंता जताते हुए कहा कि इससे मिडिल ईस्ट की स्थिति और खराब होंगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले की मुस्लिम नेताओं निंदा करते हुए संभावित हिंसा व खूनखराबे की चेतावनी दी है. फलस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इस फैसले पर कहा कि एक दशक तक मध्यस्थ की भूमिका निभाने के बाद, शांति समझौते में अपनी भूमिका से अमेरिका पीछे हटा है. उन्होंने कहा कि शांति प्रयासों को जानबूझकर कमजोर करने का कदम निंदनीय और अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि येरूशलम फलस्तीन राज्य की अखंड राजधानी है. वहीं फिलिस्तीन के ग्रुप हमास के मुखिया का कहना है कि, “हमारे फ़लस्तीनी लोग इस साजिश को सफ़ल नहीं होने देंगे और उनके पास अपनी ज़मीन और पवित्र स्थलों को बचाने के विकल्प खुले हैं.”
तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावूसोगलु ने इसे गैरजिम्मेदाराना कदम बताते हुए ट्वीट किया कि ‘ये फ़ैसला अंतरराष्ट्रीय क़ानून और संयुक्त राष्ट्र के इस बारे में पारित किए गए प्रस्तावों के ख़िलाफ़ है.’. जबकि मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल सीसी ने भी ट्रंप के इस फैसले पर चेताते हुए कहा कि “मध्यपूर्व में शांति की उम्मीद को कमज़ोर करने वाले किसी भी कदम से इलाक़े में स्थिति और जटिल होगी.”
अरब लीग ने भी ट्रंप की इस घोषणा को खतरनाक बताते हुए कहा कि इसके नतीजे पूरे इलाके को प्रभावित करेंगे और साथ ही अमेरिका की आगे की शांति वार्ता की भूमिका पर सवाल भी खड़े करेंगे. वहीं ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई ने कहा कि “येरूशलम को यहूदी राज की राजधानी घोषित करना हताशा भरा कदम है. फलस्तीन के मुद्दे पर उनके हाथ बंधे हैं और वे अपने लक्ष्य में सफल नहीं होंगे.”
ट्रंप की इस घोषणा पर चारो तरफ घोर आलोचना हो रही है इसी कड़ी में पोप फ्रांसिस ने कहा कि “येरूशलम को यहूदी राज की राजधानी घोषित करना हताशा भरा कदम है. फलस्तीन के मुद्दे पर उनके हाथ बंधे हैं और वे अपने लक्ष्य में सफल नहीं होंगे.” वहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंतोनियो गुटेरेस ने कहा कि ‘ट्रंप का बयान इसराइल और फ़लस्तीन के बीच शांति की संभावनाओं को बर्बाद कर देगा.’ उन्होंने कहा कि अंतिम स्थिति को, संबंधित दोनों पक्षों की आपसी बातचीत के बाद तय की जानी चाहिए.
यूरोपीय संघ ने कहा कि है कि ‘दो राष्ट्र के हल की ओर अर्थपूर्ण शांति प्रक्रिया को बहाल किया जाए और बातचीत के मार्फ़त एक रास्ता तलाशा जाए.’ फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने कहा कि ट्रंप का फैसला अफसोसजनक है. उन्होंने किसी भी कीमत पर हिंसा को रोकने की कोशिश करने की अपील की है. ब्रिटेन की प्रधानमंत्री टेरीजा मे ने का कहना है कि ब्रिटेन की सरकार अमरीकी फैसले से असहमत है, जोकि इलाक़े में शांति के लिहाज से बिल्कुल भी मददगार नहीं है.’
उन्होंने कहा कि ‘यरूशलम की स्थिति अंततः एक साझा राजधानी के रूप में तय की जानी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के मुताबिक, हम पूर्वी येरूशलम को कब्जे वाले फिलिस्तीनी इलाके के रूप में देखते हैं.
सबसे इतर इजरायली प्रधानमंत्री ने ट्रंप की घोषणा को साहसिक कदम बताते हुए उनकी प्रशंसा की है और इसे ऐतिहासिक करार दिया. उन्होंने अपने भाषण के दौरान इसे शांति को बढ़ा हुआ कदम बताया.
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