नई दिल्ली: थाईलैंड में राजनीति में फिर से उथल-पुथल मच गई है। प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को संवैधानिक न्यायालय के आदेश पर पद से हटाया गया है। कोर्ट ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने एक आपराधिक दोषी को मंत्री पद पर नियुक्त किया था, जिससे नैतिकता के नियमों का उल्लंघन हुआ। आइए, जानते हैं इस पूरे मामले की विस्तार से जानकारी।
बैंकॉक में स्थित संवैधानिक न्यायालय ने बुधवार, 14 अगस्त को फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन ने एक ऐसे व्यक्ति को मंत्री के रूप में नियुक्त किया, जो पहले से ही एक आपराधिक मामले में दोषी था और जेल की सजा काट चुका था। यह व्यक्ति श्रेथा का रिश्तेदार था और एक रियल एस्टेट टाइकून था। कोर्ट ने इस नियुक्ति को नैतिकता के खिलाफ माना और प्रधानमंत्री को उनके पद से हटा दिया।
इस मामले में अदालत के 9 में से 5 न्यायाधीशों ने श्रेथा और उनके पूरे मंत्रिमंडल को बर्खास्त करने के पक्ष में मतदान किया। कोर्ट का कहना था कि प्रधानमंत्री को अच्छी तरह पता था कि उन्होंने जिस व्यक्ति को मंत्री बनाया है, उसकी नैतिक अखंडता पर सवाल उठाए जा सकते हैं। कोर्ट ने प्रधानमंत्री पर ईमानदारी की कमी का आरोप लगाते हुए कहा कि यह नियुक्ति नैतिक मूल्यों के खिलाफ है।
यह मामला थाईलैंड की पूर्व सत्तारूढ़ सेना द्वारा नियुक्त पूर्व सीनेटरों के एक समूह द्वारा अदालत में लाया गया था। इस फैसले के बाद देश में राजनीतिक अस्थिरता की स्थिति पैदा हो गई है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, एक हफ्ते पहले ही कोर्ट ने मुख्य विपक्षी मूव फॉरवर्ड पार्टी (एमएफपी) को भंग कर दिया था और उसके नेता पर 10 साल के लिए राजनीति से प्रतिबंध लगा दिया था। अब कोर्ट ने प्रधानमंत्री को भी बर्खास्त कर दिया है, जिससे देश में राजनीतिक तनाव और बढ़ गया है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि साल 2008 में वकील पिचित चुएनबान को अदालत ने दोषी ठहराया था। यह बात प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को पता थी, इसके बावजूद उन्होंने इस दोषी वकील को अपनी कैबिनेट में जगह दी। कोर्ट ने कहा कि इस नियुक्ति से स्पष्ट होता है कि प्रधानमंत्री में ईमानदारी की कमी है और उन्होंने नैतिक मानकों का उल्लंघन किया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद प्रधानमंत्री और उनकी पूरी कैबिनेट को बर्खास्त कर दिया गया है।
थाईलैंड में पिछले दो दशकों से राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई है। तख्तापलट, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन और अदालती आदेशों के चलते देश में स्थिति हमेशा ही तनावपूर्ण रही है। अब, कोर्ट द्वारा प्रधानमंत्री को बर्खास्त किए जाने के बाद, एक बार फिर थाईलैंड में राजनीतिक अस्थिरता चरम पर पहुंच गई है। संसद को अब नया प्रधानमंत्री चुनने के लिए बैठक करनी होगी। थाईलैंड की राजनीति में यह बड़ा घटनाक्रम एक नए दौर की शुरुआत कर सकता है, जहां नैतिकता और ईमानदारी के सवाल उठाए जाएंगे। देश के नागरिकों की नजर अब संसद और कोर्ट के अगले कदम पर होगी।
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