मुस्लिम देशों को भी पाकिस्तान की गरीबी पर इतनी दया नहीं आई जितनी चीन को आई. पाकिस्तान को कर्ज देने में चीन सबसे आगे है. शहबाज शरीफ सरकार को चीन को 29 अरब डॉलर लौटाने हैं. विश्व बैंक ने यह रिपोर्ट मंगलवार (दिसंबर 3, 2024) को जारी की है। रिपोर्ट में बताया गया कि करीब 9.16 अरब डॉलर के कर्ज के साथ सऊदी अरब पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा कर्जदाता है.
नई दिल्ली: मुस्लिम देशों को भी पाकिस्तान की गरीबी पर इतनी दया नहीं आई जितनी चीन को आई. पाकिस्तान को कर्ज देने में चीन सबसे आगे है. शहबाज शरीफ सरकार को चीन को 29 अरब डॉलर लौटाने हैं. विश्व बैंक ने यह रिपोर्ट मंगलवार (दिसंबर 3, 2024) को जारी की है। रिपोर्ट में बताया गया कि करीब 9.16 अरब डॉलर के कर्ज के साथ सऊदी अरब पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा कर्जदाता है.
पाक विशेषज्ञ कमर चीमा ने भी पाकिस्तान की इस हालत पर चिंता जताई है. उनका कहना है कि जिन देशों पर इतना कर्ज है उनके सामने हमारी क्या हैसियत होगी. रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के कुल विदेशी कर्ज में चीन की हिस्सेदारी घट गई है, जो 2023 में 25 फीसदी थी और अब घटकर सिर्फ 22 फीसदी रह गई है. वहीं सऊदी अरब की हिस्सेदारी 2023 में दो प्रतिशत से बढ़कर 2024 में सात प्रतिशत हो गई।
मंगलवार को जारी विश्व बैंक की अंतर्राष्ट्रीय ऋण रिपोर्ट 2024 के अनुसार, पाकिस्तान उन तीन देशों में शामिल था, जिन्होंने इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से सबसे अधिक ऋण लिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्यात और राजस्व के अनुपात में पाकिस्तान का कुल कर्ज कमजोर वित्तीय स्थिति का संकेत है।
बता दें कि रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान का कुल वैश्विक ऋण (आईएमएफ से ऋण सहित) 2023 में 130.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो उसके कुल निर्यात का 352 प्रतिशत और सकल राष्ट्रीय आय (जीएनआई) का 39 प्रतिशत है। कमर चीमा ने कहा, ‘यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है क्योंकि पाकिस्तान निर्यात नहीं कर सकता है। पाकिस्तान पर कुल कर्ज 130 अरब डॉलर है, जिसमें तकरीबन 30 अरब डॉलर चीन का है.
इससे अंदाजा लगाइए कि अगर पाकिस्तान को किसी देश को 30 अरब डॉलर देने पड़ें तो उस देश के सामने हमारी स्थिति क्या होगी और हम कितने आजाद होंगे. ये बात पाकिस्तान और चीन दोनों के लिए अच्छी नहीं है. उसके बाद सऊदी अरब है. हमने जहां भी कर्ज लिया है, हम कमजोर स्थिति में हैं. उन्होंने कहा कि विश्व बैंक बार-बार चेतावनी दे रहा है.
कुल ऋण में से 45 प्रतिशत या $59 बिलियन द्विपक्षीय ऋणदाता हैं। 60 बिलियन डॉलर बहुपक्षीय ऋणदाता हैं, जिसमें विश्व बैंक और इधर-उधर के ऋणदाता शामिल होंगे। शेष 9 प्रतिशत हमारे निजी ऋणदाता हैं। तो बताये क्या हम भारत से मुकाबला कर सकते हैं? क्या हम उनकी विदेश नीति और अर्थव्यवस्था का मुकाबला कर सकते हैं? कमर चीमा ने कहा कि यही कारण है कि जब अरब देशों के सम्मेलन होते हैं तो हमें तवज्जो नहीं दी जाती.
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