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पाकिस्तान: SC के चीफ जस्टिस की शक्तियां कम करना चाहती है शहबाज सरकार, संसद में पेश किया बिल

नई दिल्ली। राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक तंगी से बदहाल हुए पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सरकार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अधिकार को कम करने की तैयारी कर रही है। पाकिस्तान के कानून मंत्री नजीर तरार ने मंगलवार को संसद में सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर) बिल 2023 पेश किया। इस बिल का उद्देश्य पाकिस्तानी […]

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(पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट)
  • March 29, 2023 12:34 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक तंगी से बदहाल हुए पाकिस्तान में शहबाज शरीफ सरकार सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अधिकार को कम करने की तैयारी कर रही है। पाकिस्तान के कानून मंत्री नजीर तरार ने मंगलवार को संसद में सुप्रीम कोर्ट (प्रैक्टिस एंड प्रोसीजर) बिल 2023 पेश किया। इस बिल का उद्देश्य पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की ओर से स्वत: संज्ञान में ली जाने वाली विवेकाधीन शक्तियों को कम करना है। पाक मीडिया के मुताबिक, प्रस्तावित बिल को सदन ने आगे की मंजूरी के लिए नेशनल असेंबली (एनए) स्टैंडिंग कमेटी ऑन लॉ एंड जस्टिस के पास भेज दिया है। चौधरी महमूद बशीर विर्क की अध्यक्षता वाली ये कमेटी बैठक कर इस पर फैसला सुनाएगी।

ऐसे पास होगा यह बिल

स्टैंडिंग कमेटी इस प्रस्तावित बिल को निचले सदन में भेजेगी। यहां से बिल पास होने के बाद इसे उच्च सदन सीनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। बता दें कि, शहबाज सरकार का यह फैसला ऐसे वक्त आया है, जब अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों- जस्टिस जमाल खान मंडोखैल और जस्टिस सैयद मंसूर अली शाह की ओर से मुख्य न्यायाधीश की शक्तियों पर सवाल उठाया गया था। दोनों न्यायाधीशों ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट, एक व्यक्ति के एकांत निर्णय पर निर्भर नहीं रह सकता है।

PM शहबाज ने ये कहा

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मंगलवार को संसद में कहा कि न्यायपालिका से ही उठ रही बदलाव की आज निश्चित रूप से देश के लिए उम्मीद की किरण है। पाक मीडिया के मुताबिक, देश की सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम ली-नवाज ने न्यायपालिका पर बेंच फिक्सिंग का आरोप लगाया है। संसद में प्रस्तावित इस बिल में चीफ जस्टिस से स्वत: संज्ञान लेने की शक्तियों को तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों वाली समिति को स्थानांतरति करने का प्रावधान है। इसके साथ ही, बिल में फैसले को चुनौती देने के अधिकार के संबंध में भी एक खंड शामिल है, जिसे 30 दिनों के भीतर दाखिल किया जा सकता है।

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