पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है. इसे पटरी पर लाना इमरान खान के लिए बड़ी चुनौती है. इसीलिए प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक आर्थिक सलाहकार परिषद बनाई है जिसकी अध्यक्षता वे खुद करेंगे, इस परिषद में विदेशी अर्थशास्त्री भी रखे गए हैं.
इस्लामाबाद. इमरान खान प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की जुगत में जुट गए हैं. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमा चुकी है इसे देखते हुए इमरान खान ने नवगठित आर्थिक सलाहकार समिति में विदेश के कई अर्थशास्त्रियों को शामिल किया है. ऐसा करने का मकसद देश के लिए आर्थिक नीतियां बनाते समय पेशेवर आर्थिक सलाह लेना है. पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, 10 अरब डॉलर के अंतर को तत्काल पाटने की चुनौती देश के सामने है.
पाकिस्तान भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है. इसके पास मौजूदा समय में चालू खाते का घाटा 18 अरब डॉलर है. वहीं, पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार सिर्फ 10 हजार डॉलर से कुछ ज्यादा है. इससे सिर्फ दो महीने का आयात पूरा हो सकता है. पाकिस्तान के सामने ऐसी चुनौतियां देश से बड़ी राशि बाहर जाना और निवेश कम होना है. ऐसे में इमरान खान को विदेशी अर्थशास्त्रियों से उम्मीद दिख रही है. ताकि इस खाई को जल्द से पाटा जा सके.
इमरान खान ने पुरानी परंपराओं पर चलने के बजाय अलग आर्थिक सलाहकार परिषद बनाई है. इस सलाहकार परिषद में इमरान खान ने 18 सदस्यों की नियुक्ति की है. इमरान खान खुद इस परिषद की अध्यक्षता करेंगे. इसके माध्यम से वे सुनिश्चित करेंगे कि सबसे अच्छी पेशेवर आर्थिक सलाह का उपयोग किया जाए. डॉन का कहना है कि जल्द ही इस नवगठित आर्थिक सलाहकार परिषद की बैठक हो सकती है.
बता दें कि प्रधानमंत्री बनने के बाद इमरान खान ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए कड़े प्रयास करने होंगे. इसके लिए उन्होंने विदेश में रहने वाले प्रवासी पाकिस्तानियों से अपील की थी कि वे देश में निवेश करें. प्रवासियों के निवेश के लिए सुगम रास्ते बनाए जाएंगे. इसके अलावा वे प्रधानमंत्री पर होने वाले खर्चों को भी सीमित करने के प्रयास की बात कर रहे हैं.
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