नई दिल्ली : पाकिस्तानी रुपयों में लगातार गिरावट और विदेशी मुद्रा भंडार का खाली होने की कगार पर आना इस बात के प्रमुख प्रमाण हैं कि जल्द ही भारत का एक और देश आर्थिक कंगाली की कगार पर आ सकता है. पाक में सत्ता तो बदल गई है लेकिन अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का कोई […]
नई दिल्ली : पाकिस्तानी रुपयों में लगातार गिरावट और विदेशी मुद्रा भंडार का खाली होने की कगार पर आना इस बात के प्रमुख प्रमाण हैं कि जल्द ही भारत का एक और देश आर्थिक कंगाली की कगार पर आ सकता है. पाक में सत्ता तो बदल गई है लेकिन अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का कोई तोड़ नहीं मिला है. इसी बीच पाकिस्तान के प्रमुख कारोबारी संगठन ने आशंका जताई है कि देश की अर्थव्यवस्था श्रीलंका जैसी स्थितियों से ज्यादा दूर नहीं है. अगर सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं लिए तो जल्द ही देश की घरेलू अर्थव्यवस्था भी तबाह हो जाएगी.
एक प्रसिद्ध न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट में फेडरेशन ऑफ पाकिस्तान चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के हवाले से लिखा गया है कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पर लगातार दबाव बन रहा है और डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी से स्थितियां और भी खराब हो गई हैं. इससे दुनिया भर में उत्पादों की कीमतों में सुधार के बाद भी पाकिस्तान में महंगाई बढ़ रही है और अर्थव्यवस्था खराब हो रही है.
इस रिपोर्ट के अनुसार एफपीसीसीआई का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपया उस स्तर पर पहुंच गया है जो राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर खतरों को और भी बढ़ाता है. क्योंकि इससे ट्रांसपोर्ट और बिजली उत्पादन के लिए फ्यूल की कमी आ रही है जिससे लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ने की संभावना है. ऐसा ही श्रीलंका में देखने को मिला है. संगठन का कहना है कि हम श्रीलंका जैसी स्थिति से ज्यादा दूर नहीं हैं.
सरकार बदलने के बाद भी पकिस्तान की हालात में कोई सुधार नहीं है. उल्टा देश बर्बादी की ओर है. जहां देश में कई रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीज़ों के दाम आसमान पर हैं. लोग त्राहि-त्राहि के माहौल में हैं. बिजली और साफ़ पानी जैसे समस्याओं ने जनता को ढेर कर दिया है. इसी बीच देश में दवाओं की भी कमी हो रही है जो दिन प्रतिदिन आत्महत्या के खतरे को बढ़ा रही है. दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जिन दवाओं की कमी से शहरों के बाजार जूझ रहे हैं, वो लिथियम कार्बोनेट है, जो मानसिक विकारों और इससे जुड़े रोगों में सबसे कारगार दवा हैं.
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