दुनिया नई दिल्ली, भारत और अमेरिका के रिश्तों पर खफा होना पाकिस्तान के लिए कोई नयी बात तो नहीं है. ऐसा ही फिर हुआ भारत और अमेरिका की 2+2 की वार्ता को देखते हुए जब पाकिस्तान ने अपने ज़िक्र पर आपत्ति जताई. क्यों भड़का पाकिस्तान? भारत और अमेरिका के बीच हुई 2+2 की मंत्रिस्तरीय बातचीत […]
नई दिल्ली, भारत और अमेरिका के रिश्तों पर खफा होना पाकिस्तान के लिए कोई नयी बात तो नहीं है. ऐसा ही फिर हुआ भारत और अमेरिका की 2+2 की वार्ता को देखते हुए जब पाकिस्तान ने अपने ज़िक्र पर आपत्ति जताई.
भारत और अमेरिका के बीच हुई 2+2 की मंत्रिस्तरीय बातचीत के बाद देश की तरफ से संयुक्त बयान जारी किया गया. यही बयान पाकिस्तान की नाराज़गी का एक कारण है. जहां इस बयान में हुए पाकिस्तान के ज़िक्र को देखते हुए पाक विदेश मंत्रालय ने अब आपत्ति जताई है. पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किये गए बयान में कहा गया है की पाकिस्तान इस अनुचित सन्दर्भ को ख़ारिज करता है.
पाकिस्तान के ज़िक्र को लेकर दिए गए बयान पर पाक विदेश मंत्रालय ने जो बयान जारी किया है उसमें आगे कहा गया है, ‘बयान में कुछ नष्ट हो चुकी संस्थाओं का गैरज़रूरी ज़िक्र ये बताता है कि आतंकवाद के खिलाफ दोनों देशों का केंद्रीकरण गलत दिशा में है. जिसे लेकर हमें अफ़्सोस है. उन्होंने ऐसा केवल राजनीतिक लाभ और जनता की राय को गुमराह करने लिए किया है. साथ ही द्विपक्षीय मंच का इस्तेमाल भी किसी तीसरे देश पर निशाना साधने की दृष्टि से किया गया है.’
पाक विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान के खिलाफ किये गए दावे भरोसे के लायक नहीं हैं. आगे पाक विदेश मंत्रालय ने आतंकवाद पर अपना तर्क देते हुए कहा कि पकिस्तान बीते दो दशकों से वैश्विक रूप से एक बड़ा, सक्रिय, भरोसेमंद और इच्छुक सहयोगी रहा है. आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान की शहादत और सफलता का कोई मुकाबला नहीं है इस बात को तो अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय देशों ने भी स्वीकार किया है.
दरअसल भारत और अमेरिका के बीच हुई 2+2 मंत्रिस्तरीय बातचीत को लेकर जो बयान जारी किया गया है इस बातचीत में रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री शामिल हुए. इस बैठक में दोनों देशों ने 26/11 के मुंबई हमलों और पठानकोट हमलों के दोषियों को सज़ा देने की मांग के साथ-साथ सीमा पर आतंकवाद की निंदा की थी. इस संयुक्त बयान में कई आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी बात की गयी थी. इन संगठनों में अल क़ायदा और आईएसआईएस के अलावा लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिज़्बुल मुजाहिदीन शामिल हैं.