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पाकिस्तान में दवाओं की कमी ने बढ़ाई आत्महत्या दर! डूब रहा देश

नई दिल्ली : पाकिस्तान भी जल्द ही श्रीलंका की तरह ही आर्थिक संकट के गहरे जाल में फंसने जा रहा है. इस बात के संकेत पिछले कई समय से देश की गिरता विदेश मुद्रा भंडार, महंगाई और बिजली कटौती जैसे संकटों ने दे दिए थे. अब भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में दवाओं की भी […]

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पाकिस्तान में दवाओं की कमी ने बढ़ाई आत्महत्या दर! डूब रहा देश
  • July 21, 2022 5:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : पाकिस्तान भी जल्द ही श्रीलंका की तरह ही आर्थिक संकट के गहरे जाल में फंसने जा रहा है. इस बात के संकेत पिछले कई समय से देश की गिरता विदेश मुद्रा भंडार, महंगाई और बिजली कटौती जैसे संकटों ने दे दिए थे. अब भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में दवाओं की भी तंगी नज़र आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो ऐसी दवाएं जो मानसिक विकारों से लड़ने में सक्षम हैं उनसे पाकिस्तानी बाजार खाली होते जा रहे हैं.

ख़त्म हो गई ये दवाएं

सरकार बदलने के बाद भी पकिस्तान की हालात में कोई सुधार नहीं है. उल्टा देश बर्बादी की ओर है. जहां देश में कई रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीज़ों के दाम आसमान पर हैं. बिजली और साफ़ पानी जैसे समस्याओं ने जनता को ढेर कर दिया है. इसी बीच देश में दवाओं की भी कमी हो रही है जो दिन प्रतिदिन आत्महत्या के खतरे को बढ़ा रही है. दरअसल मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो जिन दवाओं की कमी से शहरों के बाजार जूझ रहे हैं, वो लिथियम कार्बोनेट है, जो मानसिक विकारों और इससे जुड़े रोगों में सबसे कारगार दवा हैं.

मीडिया रिपोर्ट में दावा

इस मामले में पाकिस्तान मीडिया द न्यूज की एक रिपोर्ट में एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक और पाकिस्तान साइकियाट्रिक सोसाइटी (पीपीएस) के पूर्व अध्यक्ष ने इन दवाओं के बाजार से खत्म होने का ज़िक्र किया है. उन्होंने कहा, “पिछले कुछ महीनों से लिथियम कार्बोनेट बेचने वाला कोई भी ब्रांड बाजार में दिखाई नहीं दिया है.” बता दें, यह दवा मानसिक विकारों और इससे जुड़े रोगों में लड़ने के लिए कारगर मानी जाती है.

मिर्गी की दवाईयां भी ख़त्म

इतना ही नहीं देश में इस समय बच्चों में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) के इलाज के लिए मिथाइलफेनिडेट और बच्चों और वयस्कों में मिर्गी के लिए क्लोनाजेपम ड्रॉप्स और टैबलेट सहित कुछ अन्य आवश्यक दवाएं भी बाज़ारों से खाली हैं. इसके आलावा पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीआईएमएस), शिफा इंटरनेशनल हॉस्पिटल इस्लामाबाद और मेयो हॉस्पिटल लाहौर के कई मनोचिकित्सकों के साथ-साथ पेशावर के मनोचिकित्सकों ने भी इसकी पुष्टि की लेकिन उन्हें इससे संबंधित कोई दवा बाजार में नहीं मिली. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो टीबी, मिर्गी, पार्किंसंस रोग, अवसाद, हृदय रोग और अन्य के इलाज के लिए इस समय पाकिस्तान में दवाएं उपलब्ध नहीं हैं.

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