नई दिल्ली, इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अब पाकिस्तान भी श्रीलंका की तरह ही आर्थिक संकट की राह में है. इस बात का सबूत है पिछले दिनों पाकिस्तान द्वारा लक्ज़री वस्तुओं का आयत घटाना. क्यों आई पाकिस्तान में बिजली की शॉर्टेज? रूस और यूक्रेन की लड़ाई का असर दुनिया पर दिखा […]
नई दिल्ली, इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अब पाकिस्तान भी श्रीलंका की तरह ही आर्थिक संकट की राह में है. इस बात का सबूत है पिछले दिनों पाकिस्तान द्वारा लक्ज़री वस्तुओं का आयत घटाना.
रूस और यूक्रेन की लड़ाई का असर दुनिया पर दिखा है. जहां कोरोना काल के बाद इस लड़ाई ने अर्थव्यवस्था की स्थिति बद से बद्तर कर दी. इसी क्रम में श्रीलंका का भी दिवालिया निकल चुका है. अब भारत का एक और पड़ोसी देश आर्थिक संकट की ओर तेजी से बढ़ रहा है. पाकिस्तान में बिजली की कटौती इस बात की ओर साफ़ संकेत देती है.
एक ओर जहां यूक्रेन और उस के युद्ध ने पूरे विश्व की एलएनजी सप्लाई को बुरी तरह से प्रभावित किय है वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान इस समय पावर प्लांट से लेकर फर्टिलाइजर प्लांट तक एलएनजी की शॉर्टेज का सामना कर रहे हैं. बता दें, इस बात को करीब एक दशक ही हुआ जब पाकिस्तान ने ऊर्जा को लेकर नई लॉन्ग टर्म पॉलिसी अपनाई थी. इस पॉलिसी के तहत इटली और कतर की कंपनियों को पाकिस्तान में एलएनजी सप्लाई का लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था. हालांकि अब यह कंपनियां पाकिस्तान की जगह अपनी सप्लाई कहीं और खपा कर ज़्यादा मुनाफा कमा रही हैं.
ऊर्जा की इस कमी के कारण इस समय पाकिस्तान में ऐसे हालात पैदा हो गए हैं कि पिछले महीने जब ईद थी उस दौरान बिजली की आपूर्ति बनाए रखने के लिए उसे स्पॉट मार्केट से करीब 100 मिलियन डॉलर देकर सिर्फ एक एलएनजी शिपमेंट को खरीदा था. विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक गिरावट के बाद पाकिस्तान ने इस शिपमेंट को खरीदा था. मौजूदा स्थिति की बात करें तो पाकिस्तान के इस समय पावर प्लांट ठप पड़ गए हैं और वहाँ इस भीषण गर्मी में भी 12-12 घंटे से ज्यादा बिजली की कटौती करने की जरूरत पड़ गई है. बता दें, पाकिस्तान के कई हिस्से हीटवेव की चपेट में हैं.
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