पाकिस्तान: अदालत ने बलात्कारी को किया रिहा फिर पीड़िता के साथ तय हुआ समझौता

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की एक अदालत ने बलात्कार के एक मामले में सजा काट रहे एक आरोपी को बाईज्जत बरी कर दिया है। जानकारी के मुताबिक आरोपी पीड़िता से शादी करने का इच्छुक था। जिस पर पीड़िता के परिजनों ने भी हामी भर दी. अदालत ने अपने इस फैसले से तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं को नारज कर […]

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पाकिस्तान: अदालत ने बलात्कारी को किया रिहा फिर पीड़िता के साथ तय हुआ समझौता

Amisha Singh

  • December 28, 2022 7:31 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की एक अदालत ने बलात्कार के एक मामले में सजा काट रहे एक आरोपी को बाईज्जत बरी कर दिया है। जानकारी के मुताबिक आरोपी पीड़िता से शादी करने का इच्छुक था। जिस पर पीड़िता के परिजनों ने भी हामी भर दी. अदालत ने अपने इस फैसले से तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं को नारज कर दिया है. आपको बता दें, देश कोई भी हो बलात्कार जैसे मामले में पीड़ित पक्ष तहरीर देने से डरता है. अमूमन इस खौफ के पीछे, मान-प्रतिष्ठा व लोकलाज का भय देखने को मिलता है.

 

क्या था मामला?

 

मई में, 25 वर्षीय दौलत खान को एक निचली अदालत ने बलात्कार करने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। आरोप था कि दौलत खान ने एक बधिर महिला से बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया था. जिस पर पीड़िता के परिजनों ने पेशावर हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। अब खबर है कि पीड़ित परिवार ने कोर्ट में आरोपी के परिवार से समझौता कर लिया है और नतीजतन बाद सोमवार को आरोपी को कोर्ट से बरी कर दिया गया।

 

कोर्ट के बाहर किया समझौता

दौलत खान के वकील अमजद अली ने बताया, “बलात्कारी और पीड़िता एक ही परिवार से ताल्लुक रखते हैं। स्थानीय (पारंपरिक) परिषद की मदद से एक नतीजे पर पहुंचने के बाद, दोनों परिवारों के बीच समझौता हो गया।” अविवाहित पीड़िता ने एक लड़के को जन्म दिया था। जिसके बाद पुलिस से मिली शिकायत पर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था. फिर आरोपी का डीएनए टेस्ट कराया गया, जिसमें वह बच्चे का ही पिता निकला था.

बड़ी संख्या में बलात्कार के मामले नहीं होते दर्ज

 

पाकिस्तान में बलात्कार का मुकदमा चलाना बेहद मुश्किल है, जहां महिलाओं को अक्सर दूसरे दर्जे के नागरिकों की तरह माना जाता है। पाकिस्तान की एक कानूनी संस्था के मुताबिक बलात्कार के बहुत कम मामले अदालत में जाते हैं. कई पीड़ितों को डरा-धमका कर चुप करा दिया जाता है। उधर, पेशावर कोर्ट के फैसले पर मानवाधिकार संगठन ने भी आपत्ति जताई, एक वकील और पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने कहा कि यह फैसला हैरान करने वाला है.

 

 

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