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भगत सिंह को बताया अपराधी और आतंकवादी, कहा स्वतंत्रता संग्राम में उनका कोई योगदान नहीं

भगत सिंह को बताया अपराधी और आतंकवादी, कहा स्वतंत्रता संग्राम में उनका कोई योगदान नहीं

नई दिल्ली: पाकिस्तान की लाहौर हाईकोर्ट ने शादमान चौक का नाम स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम पर रखने के खिलाफ दायर अदालत की अवमानना याचिका पर सुनवाई को 17 जनवरी 2025 तक स्थगित कर दिया है। इस मामले में पाकिस्तान की सरकार ने भगत सिंह को अपराधी और आतंकवादी बताते हुए उनके नाम पर चौक का नामकरण और उनकी प्रतिमा लगाने का विरोध किया है।

पंजाब सरकार के पास अंतिम मौका

न्यायमूर्ति शम्स महमूद मिर्जा ने पंजाब सरकार को मामले पर अंतिम जवाब देने का आखिरी मौका दिया था, जिसके बाद शनिवार को असिस्टेंट एडवोकेट जनरल असगर लेघारी ने कोर्ट में लिखित जवाब पेश किया। इस जवाब में भगत सिंह को महान क्रांतिकारी और शहीद घोषित करने की परिभाषाओं को खारिज किया गया और उन्हें अपराधी तथा आतंकवादी करार दिया गया।

स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं

जवाब में यह भी कहा गया कि भगत सिंह का स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं था। वह 23 साल की उम्र में ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की हत्या करने के अपराध में फांसी पर लटका दिए गए थे। इसके साथ ही यह भी दावा किया गया कि भगत सिंह नास्तिक थे और उनका विचार ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ था, लेकिन वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी नहीं थे।

भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन

इस जवाब में यह भी आरोप लगाया गया कि भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने फर्जी प्रचार के जरिए उनके नाम पर शादमान चौक का नामकरण करने की कोशिश की है। इसके साथ ही यह कहा गया कि पाकिस्तान में किसी नास्तिक व्यक्ति के नाम पर कोई स्थान का नाम रखना मंजूर नहीं है। बता दें फाउंडेशन के चेयरमैन इम्तियाज राशिद कुरैशी ने इस मामले को अदालत में चुनौती दी थी। हालांकि अदालत ने मामले की सुनवाई को अगले साल जनवरी तक स्थगित कर दिया है।

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