नई दिल्ली, इस समय भारत के दो पड़ोसी देश श्रीलंका और पाकिस्तान, बड़े संकट का सामना कर रहे हैं. इस संकट का भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा आइये आपको बताते हैं. पड़ोसी देशों की अशांति और अनिश्चितता पर भारत को आखिर चिंता क्यों करनी चाहिए?
अगर पड़ोस के घर में अशांति है तो अपना घर शांत नहीं रह सकता. ऐसा ही हो रहा है भारत के साथ. जहां भारत के दोनों पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और श्रीलंका अलग-अलग संकटों का सामना कर रहे हैं. एक ओर पाकिस्तान है जो अपने सियासी बवाल से पूरा ध्वस्त नज़र आ रहा है. दूसरी ओर आर्थिक संकट से जूंझता श्रीलंका.
श्रीलंका इस समय अपने सबसे भयावह आर्थिक संकट को झेल रहा है. श्रीलंका का संकट भारत पर गहरा प्रभाव रखता है. दक्षिण भारत से सटा ये छोटा सा द्वीप हिन्दुस्तान की सरहदों से कुछ ही दूर है. यदि वहां के नागरिक खुद को किसी खतरे में पाते हैं तो वहां की तमिल आबादी तमिलनाडु में पलायन करने लगती है. ऐसा पहले भी हुआ है जब दशकों तक जारी श्रीलंका के गृहयुद्ध के दौरान लाखो तमिल भाषी लोग तमिलनाडु में पलायन कर गए थे. भारी बेरोज़गारी और आर्थिक संकट के बीच एक बार फिर से श्रीलंकाई लोग भारत पलायन कर रहे हैं.
बनता दें श्रीलंका के इस आर्थिक संकट को लेकर भारत द्वारा अनाज और ऊर्जा की कमी पूर्ती के लिए ईंधन, भोजन और दवाओं की खरीद को लेकर 1.5 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता की जा चुकी है. पिछले हफ्ते भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा श्रीलंका के तीन दिन के दौरे में इस सहायता को जारी रखने की बात भी कही गयी थी.
पाकिस्तान की राजनीती में इमरान सरकार भारत के पीएम मोदी और उनकी सरकार के लिए सबसे कड़ी आलोचक ज़रूर रही है. लेकिन वर्ष 2021 के बाद से पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव अपने सबसे निचले स्तर पर रहा. विश्लेषक बताते हैं कि पाकिस्तानी सेना द्वारा इस्लामाबाद में नई सरकार पर कश्मीर में सफल संघर्ष विराम के लिए दबाव डाला जा सकता है.
बता दें पाकिस्तान इस समय अपने सबसे बुरे राजनीतिक संघर्ष को झेल रहा है. जहाँ इमरान सरकार की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को ख़ारिज कर पूरी संसद को भंग किया जा चुका है. इस दौरान मामला अदालत तक भी पहुंच चुका है. विपक्ष इमरान सरकार को अब देशद्रोही बता रही है. इमरान खान के अनुसार पाकिस्तान की सेना चाहती थी की वह रूस और यूक्रेन के बीच में अमेरिका और यूक्रेन का पक्ष लें लेकिन उन्होंने यहां रूस की निंदा नहीं की. उन्होंने इलज़ाम लगाया कि यही कारण है जिससे विपक्ष ने अमेरिका के साथ मिलकर उनकी सरकार गिराने की साजिश रची.
विशेषज्ञों की माने तो इस समय भारत पर पाकिस्तान के इस सियासी संकट को लेकर गहरा प्रभाव पड़ेगा. जहां इसका असर अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ उसके रिश्तों को लेकर भी हुआ है. इसे लेकर भारत के लिए एक सकारात्मक पक्ष है जहां पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर दुनिया से अलग करने पर भारत ने कोई भी मेहनत नहीं की. बल्कि ये काम खुद पकिस्तान की सत्ता ने कर दिया.
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