नई दिल्ली: कभी-कभी पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट भी अपने फैसलों और टिप्पणियों से हैरान कर देती है, नवाज शरीफ को हटाने के बाद भारतीयों की दिलचस्पी का ये दूसरा मामला है, खासकर हिंदुओं का. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में कल्लार कहर कस्बे के पास एक तालाब किनारे मंदिरों का एक समूह है, जिसे कटासराज मंदिर कहा जाता है. उस तालाब और मंदिर की देखरेख में हो रही लापरवाही का मुद्दा खुद पाक सुप्रीमकोर्ट ने सुओ मोटो उठाया और सरकार से पूछा कि सरकार इस दिशा में क्या कर रही है? इतना ही नहीं मामले की सुनवाई कर रही पाक सुप्रीमकोर्ट के तीन जजों की बेंच ने ये भी कहा कि पाकिस्तान में माइनोरिटी के मुद्दे देखने वाली संस्था Evacuee Trust Property Board (ETPB) के अध्यक्ष को क्यों नहीं हटा देना चाहिए.
दरअसल जब ये खबरें आईं कि कटासराज मंदिर, चकवाल के आस पास की सीमेंट फैक्ट्रियों के चलते प्री-हिस्टोरिक युग के इस तालाब का पानी सूखता जा रहा है, तो 2 नवम्बर को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने सुओ मोटो एक्शन लेते हुए इस केस में नोटिस जारी कर दिए. केस की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के हैड डां. रमेश कुमार ने मांक की कि ETPB का चेयरमैन किसी माइनॉरिटी को ही होना चाहिए, उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि पूर्व चीफ जस्टिस भगवान दास के बजाय नवाज शरीफ सरकार ने अपनी पार्टी के नेता सिद्दीकी फारुख को इस पद पर नियुक्त कर दिया, तो सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ा रुख अख्तियार कर सरकार से कई सवालों के जवाब मांगे हैं. अगली सुनवाई 12 दिसम्बर की रखी गई है.
अधिकांश भारतीयों ने पाकिस्तान के इस कटासराज मंदिरों के समूह का नाम नहीं सुना होगा. दिलचस्प बात है कि अभी तक ये पता नहीं है कि ये मंदिर किस दौर का है क्योंकि यहां जो मिट्टी के बर्तन, औजार और टेराकोटा मूर्तियां मिली थीं, वो 6000 साल तक पुरानी थीं. मशहूर पुरातत्वविद कनिंघम ने इस मंदिर की उम्र ईसा से 66 साल पहले का बताया था. मशहूर चीनी यात्रियों फाह्यान और ह्वेनसांग ने भी इसकी यात्रा की थी. फाह्यान तो चोथी शताब्दी में आया था, जबकि सातवीं शताब्दी में आए ह्वेनसांग ने इस जगह पर सम्राट अशोक द्वारा बनवाए किसी स्तूप के बारे में भी लिखा है. गुरुनानक के दौरे का भी जिक्र मिलता है, महाराजा रणजीत सिंह तो अक्सर यहां आते थे, तो सिख कमांडर हरि सिंह नलवा की तो यहां पर हवेली बनी है.
मान्यता है कि देवी सती की मौते के बाद इसी स्थान पर भगवान शिव रोए थे, और उनके आंसुओं से जो तालाब बना, ये वही तालाब है, जिसे अमृत कुंड कहा जाता है. इसी तालाब के किनारों पर कई मंदिर बने हुए हैं, जो अब जर्जर हालत में हैं. कनिंघम ने उस वक्त सात मंदिरों की पहचान की थी, जिसका जिक्र यहां लगे एक बोर्ड में किया गया है. मान्यता है कि यहां के शिव मंदिर में शिव लिंग की स्थापना खुद श्रीकृष्ण ने की थी. हिंदुओं में ये तीर्थ उस जगह के तौर पर माना जाता है जिस जगह पर युधिष्ठर से यक्ष ने प्रश्न पूछे थे. आज तक भारत में किसी भी प्रमुख मुद्दे को यक्ष प्रश्न से जोड़कर तुलना की जाती है.
देश की आजादी से पहले चकवाल जिले में काफी हिंदू आबादी थी और इस मंदिर परिसर में शिवरात्रि जैसे कई त्यौहार काफी धूमधाम से मनाए जाते थे. लेकिन आजादी के बाद स्थानीय हिंदू श्रद्धालु भारत चले गए लेकिन बीच बीच में वो आते रहे. 1965 के भारत पाक युद्ध के बाद इस पर रोक लग गई. कई बार रोक लगी. 2005 में इस मंदिर समूह की यात्रा पर आए एल के आडवाणी. उन्होंने पाकिस्तान सरकार से मंदिरों की हालत और उपेक्षा को देखकर काफी शिकायत की. तो पाकिस्तान सरकार ने उसी साल ऐलान किया कि इन मंदिर समूहों का वो पुनरोद्धार करवाएंगे. 2006 में एक प्रोजेक्ट शुरू भी किया गया, छोटे मोटे काम वहां शुरु भी हुए. आडवाणी की यात्रा के बाद हर साल भारत से शिवरात्रि पर तीन-चार सौ यात्रियों का जत्था इन मंदिरों में जाना भी शुरू हुआ लेकिन 2008 के मुंबई हमले के बाद फिर से इस पर रोक लग गई.
अब पूरी तरह मंदिर पाकिस्तान की हिंदू काउंसिल से जुड़े लोगों या स्थानीय प्रशासन के हवाले है. पाकिस्तानी सुप्रीमकोर्ट के एक्शन को देखते हुए पाकिस्तान के हिंदुओं को भी उम्मीद जगी है कि अगर सुप्रीमकोर्ट कोई एक्शन प्लान सरकार को बनाकर दे देता है औऱ समय समय पर प्रगति की निगरानी भी करता है, तो कटासराज मंदिरों के समूह को बचाया जा सकता है, अगली सुनवाई 12 दिसम्बर को है.
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