नई दिल्ली : इस समय पाकिस्तान आर्थिक संकट की चपेट में है. इसी बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दो दिवसीय दौरे पर हैं. गुरुवार(12 जनवरी) को वह अबू धाबी पहुंच गए हैं. इस दौरान उन्होंने यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से भी मुलाकात की है. […]
नई दिल्ली : इस समय पाकिस्तान आर्थिक संकट की चपेट में है. इसी बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के दो दिवसीय दौरे पर हैं. गुरुवार(12 जनवरी) को वह अबू धाबी पहुंच गए हैं. इस दौरान उन्होंने यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से भी मुलाकात की है. आर्थिक संकट के बीच पाकिस्तान पीएम के इस दौरे को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. रिपोर्ट बताती हैं इस दौरे पर वह संयुक्त अरब अमीरात में आर्थिक संकट में फंसे अपने देश के लिए मदद की गुहार लगाएंगे. आइए जानते हैं क्या है पाक प्रधानमंत्री के इस दौरे के मायने.
गौरतलब है कि पहले ही यूएई पाकिस्तान को दो अरब डॉलर का कर्ज देने को तैयार हो गया है. इसके अलावा यूएई उन्हें एक अरब डॉलर का अतिरिक्त कर्ज भी देगा. इससे पहले भी पाकिस्तान की मदद के लिए इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक आगे आया था. इस आर्थिक संकट और क़र्ज़ की खाई से पाक को बाहर निकालने के लिए अब बैंक 4.2 अरब डॉलर की भारी भरमक रकम देने जा रहा है.
जानकारी के अनुसार इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक ग्रुप जलवायु क्लाइमेट और अन्य विकास परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए अगले तीन सालों में पकिस्तान को यह राशि देगा. पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख आसिम मुनीर ने भी इससे पहले सोमवार को सऊदी अरब का दौरा किया था. इस दौरे पर उन्होंने क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने को लेकर चर्चा हुई थी.
पाकिस्तान की संकट की इस घड़ी में वह मदद की गुहार लगा रहा है. इसको ध्यान में रखते हुए वर्ल्ड बैंक भी अब पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आया है. बैंक के दक्षिण एशिया क्षेत्र के रीजनल वाइस प्रेसिडेंट मार्टिन रेजर ने भी पाकिस्तान की मदद को ध्यान में रखते हुए उसे दो अरब डॉलर देने का ऐलान किया है. पिछले साल भी पकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज़ शरीफ ने बाढ़ की चपेट में आने के बाद मदद की गुहार लगाई थी. इसके अलावा आर्थिक संकट को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान को कई देशों और संगठनों से आर्थिक मदद मिली है. इन देशों में जर्मनी, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन और एशियन डेवलपमेंट बैंक शामिल हैं.
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