नई दिल्ली: रतन टाटा के निधन पर भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान मुल्क में भी चर्चा हो रही है. रतन टाटा ने टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में 20 सालों तक काम किया है. रतन टाटा पर पाकिस्तानी अखबार डॉन ने विस्तार से लिखा. उन्होंने रतन टाटा के संबंध में कहा कि 86 साल […]
नई दिल्ली: रतन टाटा के निधन पर भारत में नहीं बल्कि पाकिस्तान मुल्क में भी चर्चा हो रही है. रतन टाटा ने टाटा समूह के अध्यक्ष के रूप में 20 सालों तक काम किया है. रतन टाटा पर पाकिस्तानी अखबार डॉन ने विस्तार से लिखा. उन्होंने रतन टाटा के संबंध में कहा कि 86 साल की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई है. इस संबंध में उन्होंने इंस्टा पोस्ट भी शेयर किया है. उसे टाटा समूह ने शेयर किया था. डॉन अखबार ने लिखा कि रतन टाटा मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली.डॉन ने लिखा कि 1991 में जब उनके चाचा जेआरडी टाटा ने पद छोड़ दिया तब रतन ने टाटा समूह की कमान संभाली थी.
रतन टाटा की अचीवमेंट को पाकिस्तानी मीडिया ने अखबारों में जगह दी. पाकिस्तानी मीडिया ने लिखा कि टाटा समूह ने 2000 में ब्रिटिश चाय कंपनी टेटली को 432 मिलियन डॉलर यानि 36 अरब 26 करोड़ रुपए में और एंग्लो-डच स्टील निर्माता कोरस को 2007 में 13 बिलियन डॉलर यानि 10 खरब 91 करोड़ रुपए में खरीदा था. उस वक्त किसी भारतीय कंपनी के द्वारा किसी विदेशी कंपनी का यह सबसे बड़ा टेकओवर था. जिसके बाद टाटा मोटर्स ने 2008 में 2.3 बिलियन डॉलर यानि 193 खरब रुपए में फोर्ड मोटर कंपनी से ब्रिटिश लक्जरी ऑटो ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण किया.
रतन टाटा की सबसे पसंदीदा परियोजनाओं में इंडिका और नैनो शामिल है. इंडिका भारत में डिजाइन और निर्मित पहली कार मॉडल थी. वहीं नैनो को दुनिया का सबसे सस्ती कार कहा जाता है. जिसकी कीमत भारत में 1 लाख रुपए थी. परंतु लॉन्च होने के 10 सालों बाद नैनो को बंद कर दिया गया था.
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