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Kazakhstan: तेल की कीमतों ने देश में लगाई आग, प्रधानमंत्री का इस्तीफा

नई दिल्ली. तेल की कीमतों में ज्यादा बढ़ोत्तरी से किसी देश के हालात कितने बुरे हो सकते है इसकी झलक दुनिया ने कजाखस्तान में देखा. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच जगह-जगह हो रहे खूनी संघर्ष और हिंसक झड़पों की आग में इस वक्त पूरा देश झुलस रहा है. सरकार द्वारा तेल की कीमतों बढ़ाने के फैसले के बाद जनता का आक्रोश इतना भीषण और हिंसक हो गया कि प्रधानमंत्री अस्कार मामिन को अपना इस्तीफा देना पड़ा. मांगिस्ताऊ राज्य से शुरू हुआ ये विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल चुका है.

राष्ट्रपति भवन तक पहुंची प्रदर्शन की आग-

प्रदर्शन की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सुरक्षा के लिहाज से देश का सबसे सुरक्षित स्थान माना जाने वाला राष्ट्रपति भवन भी हिंसा और आग की चपेट में आ गया. उग्र प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन में आग लगा दी और वहां पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट भी की. स्थिति को संभालने के लिए नेशनल सिक्योरिटी गॉर्डस को बुलाना पड़ा जिनके द्वारा लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने के बाद स्थिति पर काबू पाया गया.

आपातकाल की घोषणा-

देश की अस्थिरता और मौ़जूदा हालात की गंभीरता को समझते हुए राष्ट्रपति कसीम ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा कर दी है. आपातकाल 5 जनवरी से 19 जनवरी तक रहेगा. आपातकाल के दौरान स्थिती काबू में रखने और आम लोगो के हाथ से हथियारों की पहुंच को दूर करने के लिए हथियार, गोला-बारूद और शराब की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है.

राष्ट्रपति ने की शांति की अपील

देश के अलग-अलग हिस्सों में लगातार हो रहे हिंसक प्रदर्शनों के बीच राष्ट्रपति कसीम जोमार्ट ने देश की जनता को संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होनें लोगो से अपने मतभेदों को हिंसा में ना बदलने और सेना के वाहनों और सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान ना पहुंचाने की अपील की है.

रूसी सेना तैनात

विरोध प्रदर्शन की बढ़ती व्यापकता और बेकाबू होती हिंसा से परेशान राष्ट्रपति कसीम जोमार्त ने सीएसटीओ से मदद की गुहार लगाई. जिसके बाद सीएसटीओ ने एक शांति सेना को कजाखस्तान भेजने का फैसले किया है. बता दे सीएसटीओ एक सैन्य गठबंधन है. जिसका पूरा नाम कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गनाइज़ेशन है. इस गठबंधन में कुल 6 सदस्य है. जिसमें तीन मध्य एशियाई कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान के साथ आर्मेनिया, बेलारूस और रूस शामिल है. गौरतलब है कि इस सैन्य गठबंधन के सभी सदस्य राष्ट्र पहले संयुक्त सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करते थे.

 

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Aanchal Pandey

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