नई दिल्ली: बकरीद पर स्वीडन में कुरान जलाने का मामला सामने आया था जिसके बाद से कई मुस्लिम देश कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. अब कुरान जलाए जाने के मामले में स्वीडिश सरकार ने अपना आधिकारिक बयान जारी किया है. इस बयान में इस पूरी घटना को ‘इस्लामोफोबिक’ कृत्य बताया गया है. मौलिक स्वतंत्रता सुनिश्चित […]
नई दिल्ली: बकरीद पर स्वीडन में कुरान जलाने का मामला सामने आया था जिसके बाद से कई मुस्लिम देश कड़ी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. अब कुरान जलाए जाने के मामले में स्वीडिश सरकार ने अपना आधिकारिक बयान जारी किया है. इस बयान में इस पूरी घटना को ‘इस्लामोफोबिक’ कृत्य बताया गया है.
गौरतलब है कि स्वीडिश सरकार के ये बयान उस समय आया है जब पहले से ही विश्व भर के सभी मुस्लिम देश इस घटना से नाराज़ हैं. इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (OIC) ने भी इस घटना पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. OIC ने एक बयान जारी कर कहा था कि ‘यह घृणित कृत्य पवित्र कुरान और अन्य इस्लामी मूल्यों, प्रतीकों उसकी पवित्रता का उल्लंघन का प्रयास है. सभी देश संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत सार्वभौमिक रूप से सभी लोगों के लिए मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करे.
OIC के इस बयान के बाद स्वीडन सरकार ने भी कुरान जलाने की घटना की निंदा की है और इसे इस्लामोफोबिक कृत्य करार दिया है. स्वीडिश विदेश मंत्रालय की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया है कि सरकार इस बात को पूरी तरह से जानती है और प्रदर्शनों के दौरान कुछ व्यक्तियों के द्वारा की गई इस घटना को मुसलमानों के लिए अपमानजनक मानती है. इस घटना की हम कड़ी निंदा करते हैं.
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में आगे कहा गया है कि ये घटना किसी भी तरह से सरकार के विचारों को प्रदर्शित नहीं करती है. आगे कहा गया है कि ग्रंथ को जलाना घृणित, अपमानजनक और एक स्पष्ट उकसावे वाला कृत्य है. किसी भी तरह की असहिष्णुता, नस्लवाद, जेनोफोबिया का स्वीडन या यूरोप में कोई स्थान नहीं है. हालांकि अपने इस आधिकारिक बयान में स्वीडन ने ये भी कबूला है कि नागरिकों को सभा, अभिव्यक्ति और प्रदर्शन की स्वतंत्रता है.