नई दिल्ली। बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद वहां की अर्थव्यवस्था भी खस्ता हो गई है। कपड़ा उद्योग में दुनियाभर में सबसे आगे रहने वाले बांग्लादेश में अब फैक्ट्रियों पर ताले पड़ गए हैं। ऐसा तब हो रहा है जब प्रदर्शन और हिंसा से हुए नुकसान से उभरने के लिए बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को इन्वेस्टर्स की जरूरत है। आपको बता दें कर्मचारी ज्यादा वेतन और सुरक्षा की मांग को लेकर छुट्टी पर चले गए हैं। ढाका में लगभग 80 कारखानों में काम नहीं हो रहा है।
अगर यही सिलसिला जारी रहा और फैक्ट्रियां नहीं खुलीं तो भारत को इसका फायदा हो सकता है क्योंकि बांग्लादेश से कपड़ों का बहुत बड़ा निर्यात होता है। यह पूरा बाजार भारत में वापस आ जाएगा।
हालांकि यूनुस सरकार मजदूरों की मदद करने की कोशिश कर रही है, लेकिन लोग सरकार की बात सुनने को तैयार नहीं हैं। बांग्लादेश में 3,500 से ज्यादा गारमेंट फैक्ट्रियां हैं, जो हर साल लगभग 50 बिलियन डॉलर का निर्यात करती हैं। चीन के बाद बांग्लादेश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गारमेंट निर्यातक है। लेवी, जारा और एचएंडएम समेत दुनिया के कई बड़े ब्रांड यहीं से अपने कपड़े बनवाते हैं। लेकिन जब से बांग्लादेश में छात्रों का विरोध प्रदर्शन हुआ है, तब से कई फैक्ट्रियां बंद हैं। धीरे-धीरे दवा, सिरेमिक और चमड़े की फैक्टरियों में भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
यूनियन नेता तस्लीमा अख्तर ने कहा, हमारी मांगें पूरी होनी चाहिए। हमारे लिए कई तरह की समस्याएं खड़ी करने की कोशिश की जा रही है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि ओवरटाइम के लिए ज्यादा पैसे दिए जाएं। जहां महिलाएं ज्यादा काम करती हैं, वहां पुरुषों को भी काम पर रखा जाए, ताकि उनकी सुरक्षा हो सके। वहीं, बांग्लादेश निटवियर मैन्युफैक्चरर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद हातेम ने कहा, मजदूरों की कुछ मांगें ठीक नहीं हैं। हम ओवरटाइम के लिए 4 गुना पैसे नहीं दे सकते। फैक्ट्रियों में महिलाओं और पुरुषों की संख्या बराबर करने की मांग है, ऐसा कैसे हो सकता है। सबकी अपनी-अपनी विशेषज्ञता है।
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