नई दिल्ली: पाताल एक ऐसी दुनिया है जो जमीन के नीचे बनी है. लोककथाओं मे चर्चा अक्सर होती रहती है कि जमीन के नीचे अलग दुनिया है. एक प्रचलित कहानी के अनुसार पाताल तक पहुंचने के लिए करीब 70 हजार योजन की गहराई का गड्ढा खोदना होगा. लेकिन अब कोई कल्पना नहीं बल्कि वैज्ञानिकों ने […]
नई दिल्ली: पाताल एक ऐसी दुनिया है जो जमीन के नीचे बनी है. लोककथाओं मे चर्चा अक्सर होती रहती है कि जमीन के नीचे अलग दुनिया है. एक प्रचलित कहानी के अनुसार पाताल तक पहुंचने के लिए करीब 70 हजार योजन की गहराई का गड्ढा खोदना होगा. लेकिन अब कोई कल्पना नहीं बल्कि वैज्ञानिकों ने इसे खोज निकाला है।
जमीन से करीब 100 मील नीचे धरती की अलग परत मिली है, जो चट्टान की तरह मिलती जुलती है. एक्सपर्ट ने पहली बार अनजान परत एस्थेनोस्फीयर तक पहुंचा है. एस्थेनोस्फीयर धरती के क्रस्ट के नीचे एक कमजोर परत है जो घूमती रहती है. कहा जा रहा है कि इसकी स्टडी से आगे जानकारी मिलेगा. खासकर टेक्टोनिक प्लेटों में हलचल का पता चलेगा यानी भविष्य में भूकंप होने से पहले ही जानकारी मिल सकेंगे. तुर्की और सीरिया में भूकंप की तबाही को देखते हुए इस तरह की स्टडी की अहमियत और बढ़ जाती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के तहत हुए अध्ययन में पाया गया कि खोजी गई ये चिपचिपी परत घूमती रहती है और इसका दायरा जमीन के काफी नीचे तक है. नेचर जियोसाइंस में बीते कुछ दिनों पहले छपी स्टडी में माना गया कि पिघली हुई चट्टानों को आगे स्टडी करके शायद ये पता चल सके कि आगे चलकर धरती में क्या परिवर्तन होने वाले हैं.
कुछ ही समय पहले साइंटिस्ट्स ने कहा था कि धरती की आंतरिक कोर का घूमना और परिवर्तन अब लगभग बंद हो रहा है. लेकिन पिघली हुई चट्टानों को देखते हुए अब इसपर नए सिरे से बात होगी. वैज्ञानिक का कहना है कि भूकंप की भविष्यवाणी बहुत मुश्किल है. खुद यूएस जियोलॉजिकल सर्वे ने कहा कि भूकंप का बदलते हुए रूप इसके प्रेडिक्शन में रोड़ा बन जाता है. ये कोई ट्रेन नहीं जो धीरे-धीरे तेजी पकड़े. ये एकदम से आने वाली वो झटका है जो संभलने की मौका ही नहीं देता.
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