1962 नहीं… ये 2022 का भारत है, जानिए वो 4 वजहें जिससे चीन भी खाता है हिंदुस्तान से खौफ

LAC: LAC: चीन और भारत दो ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का लगभग 40 फीसदी है। इन दोनों के बीच का अनुपात सीधे तीन अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। यही नहीं, दुनिया भर के अन्य देश पर भी इसका सीधा असर पड़ता हैं। अगर ये दोनों देश अच्छे दोस्त […]

Advertisement
1962 नहीं… ये 2022 का भारत है, जानिए वो 4 वजहें जिससे चीन भी खाता है हिंदुस्तान से खौफ

Amisha Singh

  • December 15, 2022 6:17 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

LAC: LAC: चीन और भारत दो ऐसे देश हैं जिनकी जनसंख्या विश्व की जनसंख्या का लगभग 40 फीसदी है। इन दोनों के बीच का अनुपात सीधे तीन अरब से अधिक लोगों को प्रभावित करता है। यही नहीं, दुनिया भर के अन्य देश पर भी इसका सीधा असर पड़ता हैं। अगर ये दोनों देश अच्छे दोस्त बन जाते हैं तो ये एक ऐसी ताकत बन सकते हैं जो दुनिया के लिए मिसाल कायम कर दे. लेकिन सवाल यह है कि क्या ऐसा हो सकता है। दोनों देशों के संबंधों पर नजर डालें तो यह संभव नहीं लगता।

खासतौर पर तब जब डोकलाम, गलवान के बाद इस तरह की हरकत चीनी सेना तवांग में करती है। चीन इस बात को बखूबी समझता है कि यह 1962 का भारत नहीं, बल्कि 2022 का भारत है, जिसने उसे विश्व स्तर पर सभी मोर्चों पर घेर रखा है। विदेश मामलों के जानकार भी कहते हैं कि चीन के हालातों को मात देने के लिए भारत की कूटनीति और विदेश नीति ही काफी है. आइए इसे चार बिंदुओं में समझने की कोशिश करते हैं।

1). मजबूत सीमा इंफ्रास्ट्रक्चर

साल 2019 में जब पीएम नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल की यात्रा के दौरान 4 अरब (4 हजार करोड़) रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास किया तो चीन हैरान रह गया। भारत पर चीन की इस बौखलाहट का कुछ असर देखने को नहीं मिला और भारत अपने लक्ष्य पर अडिग रहता है। सरकार ने भारत-चीन सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए कई उपाय किए हैं। खासकर हिमालय की सीमा पर।

 

2). अत्याधुनिक सैन्य हथियार

भारतीय सेना की ताकत हाल के वर्षों में कई गुना बढ़ गई है। ग्लोबल फायरपॉवर (जीएफपी) वार्षिक रक्षा समीक्षा के अनुसार, भारत के पास रिजर्व अर्धसैनिक बलों सहित 51 लाख से अधिक सैनिक हैं जबकि इस मामले में चीन का आंकड़ा 31.34 लाख है। यही नहीं, सरकार भारतीय सेना के हथियारों का आधुनिकीकरण भी कर रही है।

भारतीय सेना दुनिया की सबसे अच्छी सेनाओं में से एक है, जिसके पास अत्याधुनिक तकनीक से लैस हथियार हैं, जैसे फ्लीट साइज ऑफ बैटल टैंक, टॉड आर्टिलरी, स्पेशल एयरक्राफ्ट, वॉरशिप्स, सबमरीन, वॉरशिप्स, एयरक्राफ्ट कैरियर। 93 आधुनिकीकरण परियोजनाओं पर काम चल रहा है.

 

3). चीन को अलग करने की नीति

चीन को तोड़ने के लिए उसे आर्थिक नुकसान पहुंचाना काफी कारगर रहा है। यह भारत की प्रभावी नीति साबित हुई है। क्वाड पार्टनरशिप से भारत चीन को जवाब दे रहा है। इसी वजह से चीन के आर्थिक विस्तार को रोकने की कोशिश की गई है। क्वाड का जन्म ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया-जापान-यूएसए’ संवाद के साथ हुआ था।

चीन के लिए क्वाड चार विरोधी देशों का समूह है। क्वाड के तहत भारत की नीति साफ़ है कि ये चारों देश आपस में मिलकर एक सप्लाई चेन बनाएंगे और ग्रीन टेक्नोलॉजी शेयर करेंगे। यह चीन पर देश की निर्भरता को कम करने के तरीके से एक बड़ा कदम साबित होगा।

 

4). विदेशी निवेश से चीन को नुकसान

कुछ महीने पहले आर्थिक विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसके हवाले से आपको बता दें, यूरोपीय कंपनियां चीन को छोड़कर भारत का रुख कर रही हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 2022 तक 23% यूरोपीय कंपनियां चीन छोड़ चुकी हैं। ये कंपनियां एशिया के तीन बड़े देश जैसे कि वियतनाम, इंडोनेशिया और भारत आ रही हैं। चूंकि भारत एक बहुत बड़ा बाजार है और यहां के उत्पादों की खपत भी अधिक है, इसलिए हाल के महीनों में भारत में विदेशी कंपनियों के आने का सिलसिला भी बढ़ने लगा है।

 

 

 

यह भी पढ़ें :

 

Delhi Excise Case: बीजेपी बोली- ‘अरविंद केजरीवाल का अहंकार टूटेगा, AAP के पास सवालों का नहीं है जवाब’

मनीष सिसोदिया का दावा! बीजेपी ने मेरे खिलाफ सभी सीबीआई, ईडी मामलों को बंद करने की रखी पेशकश

 

Advertisement