नई दिल्ली, कोरोना महामारी के दौरान प्रोटोकॉल्स का उल्लंघन करने वाले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के पार्टी नेतृत्व पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं. जहां जल्द ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है. जानकारी के अनुसार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के खिलाफ सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया जाएगा. […]
नई दिल्ली, कोरोना महामारी के दौरान प्रोटोकॉल्स का उल्लंघन करने वाले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के पार्टी नेतृत्व पर अब सवाल उठाए जा रहे हैं. जहां जल्द ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी की जा रही है. जानकारी के अनुसार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के खिलाफ सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया जाएगा.
जानकारी के अनुसार सोमवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा. इस कड़ी में कंज़र्वेटिव पार्टी के कई सांसदों ने पत्र लिखकर पार्टी में जॉनसन के नेतृत्व पर असहमति जताई है. बता दें, कोरोना काल के दौरान बोरिस जॉनसन द्वारा किये गए गैर जिम्मेदाराना रवैये पर पार्टी में अब प्रधानमंत्री की खूब आलोचना की जा रही है. इस बात का दावा वरिष्ठ अधिकारी सू ग्रे की रिपोर्ट में भी किया गया है.
प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोरोना की लहर के बीच नियमों का उल्लंघन किया था. जहां प्रधानमंत्री कार्यालय के उद्यान में 20 मई 2020 को पार्टी आयोजित की गई थी. यह पार्टी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के 56वें जन्मदिन की ख़ुशी में आयोजित की गई थी. इसके अलावा एक और पार्टी का आयोजन 19 जून 2020 को 10 डाउनिंग स्ट्रीट के परिसर में आयोजित की गई थी. इस दौरान ब्रिटेन में कोरोना प्रोटोकॉल में कड़ाई की गई थी जिसे प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने तोड़ते हुए बाहर के लोगों को घर पर आमंत्रित किया था. इस मामले ने ब्रिटेन की राजनीति में काफी तूल पकड़ी. जिसे लेकर मौजूदा सत्तासीन कंज़र्वेटिव पार्टी के अंदर और बाहर खलबली मच गई. बहरहाल पीएम जॉनसन ने अपनी इस भूल के लिए माफ़ी भी मांगी थी. पर यह मामला ठंडा नहीं हुआ. कई सांसद उनके इस्तीफे को लेकर दबाव बनाने लगे.
ब्रिटेन के संबंध में यदि अविश्वास प्रस्ताव को समझने का प्रयास करें तो कंज़र्वेटिव पार्टी में नेतृत्व को चुनौती देने के लिए कम से कम 15 प्रतिशत मौजूदा सांसदों को पत्र लिखकर यह बताना होगा कि उनका अब प्रधानमंत्री पर विश्वास नहीं है. मौजूदा समय में पार्टी के पास 359 सांसद हैं और अविश्वास जताने के लिए 54 सांसदों की ज़रूरत है.
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