नई दिल्ली। यूं तो नया साल(New Year 2024) मनाने के साथ-साथ रेजोल्यूशन (संकल्प/इरादा) लेने का सिलसिला करीब पांच हजार साल पुराना है। जिसकी शुरूआत मेसोपोटामिया के बेबिलोनियाई सभ्यता के दौरान हुई थी। दरअसल, उस वक्त भौतिकता का अभाव था और जीवन यापन के लिए कृषि पर निर्भर रहना पड़ता था। ऐसे में नववर्ष मनाने की […]
नई दिल्ली। यूं तो नया साल(New Year 2024) मनाने के साथ-साथ रेजोल्यूशन (संकल्प/इरादा) लेने का सिलसिला करीब पांच हजार साल पुराना है। जिसकी शुरूआत मेसोपोटामिया के बेबिलोनियाई सभ्यता के दौरान हुई थी। दरअसल, उस वक्त भौतिकता का अभाव था और जीवन यापन के लिए कृषि पर निर्भर रहना पड़ता था। ऐसे में नववर्ष मनाने की शुरुआत बेबीलोन के लोगों द्वारा ही हुई, जिसे वो बारह दिन के त्योहार के रूप में मनाते थे।
दरअसल, बारह दिनों के दौरान वे अपने राजा और दोस्तों से वादा करते थे कि वे जल्दी ही कर यानि की टैक्स चुका देंगे। साथ ही उधार लिए गए औजारों को भी वापस कर देंगे और अपने दोस्तों और पड़ोसियों के साथ अच्छे रिश्ते बना कर रखेंगे। चीन के लोग रेजोल्यूशन को गुड लक की तरह मानते थे और रोमन लोग नववर्ष(New Year 2024) पर भगवान की पूजा करते थे। इस प्रकार पता चलता है कि रेजोल्यूशन का चलन हजारों साल पुराना है।
प्रारंभ में नववर्ष की शुरुआत मार्च के महीने से हुई थी, जिसमें साल में सिर्फ दस महीने होते थे और एक सप्ताह आठ दिनों का होता था। उस समय साल में बस 310 दिन ही होते थे। बाद में खगोलविदों ने दिनों की गणना के आधार पर इसमें संशोधन किया।
जानकारी के अनुसार, रोमन शासक जुलियस सीजर ने सबसे पहले एक जनवरी को नया साल मनाया था। उसने खगोल शास्त्रियों से प्राप्त जानकारी में पाया कि पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन और 6 घंटे में पूरी करती है। ऐसे में पुरानी सोच को जुलियस सीजर ने खत्म कर दिया कि एक साल में 310 दिन होते हैं और सबको बताया कि साल में 365 दिन और 6 घंटे होते हैं। जिसके आधार पर सालभर में 12 महीने होने लगे।
हालांकि, बाद में इसपर भी काफी विचार-विमर्श किया गया। जिसमें पोप ग्रेगरी को जुलियस सीजर के इस कैलेंडर में लीप ईयर की कमी दिखाई पड़ी और उसने अपने धर्म गुरु से इसपर चर्चा की, जिनका नाम गुरु सेंट बीड था। उन्होंने बताया कि साल में 365 दिन और 6 घंटे नहीं, बल्कि 365 दिन 5 घंटे और 46 सेकेंड होते हैं। इसी आधार पर लीप ईयर भी सामने आया और उसकी भी गणना पूरी हुईं। जिसके बाद रोमन कैलेंडर को हटाकर ग्रेगरियन कैलेंडर का निर्माण किया गया। ये हर पैमाने पर खरा उतरता था। उसी समय से 1 जनवरी को नववर्ष मनाया जाने लगा।